Madmaheshwar Mandir: आज सुबह 11:15 बजे खोले मंदिर के कपाट, श्रद्धालु पहुंचे दर्शन करने

Madmaheshwar Mandir

सोमवार को पंच केदार में (Madmaheshwar Mandir) द्वितीय भगवान मद्महेश्वर मंदिर के कपाट आज 11:30 बजे भक्तों के दर्शन के लिए खोल दिए गए हैं। 8 क्विंटल फूलों से सजाया गया मंदिर (Madmaheshwar Mandir) बाबा मद्महेश्वर की चल उत्सव विग्रह डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर से मद्महेश्वर मंदिर आज सुबह 11:15 बजे पहुंची। जिसके बाद 11:30 बजे श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए कपाट खोले गए। आपको बतादें मद्महेश्वर मंदिर को पुष्प सेवा समिति ऋषिकेश द्वारा 8 क्विंटल फूलों से सजाया गया है। यह लोग पहुंचे डोली के साथ (Madmaheshwar Mandir) जानकारी के अनुसार डोली के साथ पूर्व ग्राम प्रधान सुमन पंवार, बीकेटीसी के पूर्व सदस्य शिव सिंह रावत, शिवम कुकरेती, डोली सहायक प्रभारी दीपक पंवार, वन पंचायत सरपंच शिव सिंह पंवार, देवी शंकर त्रिवेदी, प्रकाश पंवार, प्रमोद कैशिव और लाल सिंह रावत पहुंचे। Madmaheshwar Mandir यह भी पढ़ें जंगल की आग का नया मामला आया सामने, नैनीताल में फिर जले जंगल, रात भर जलने के बाद सुबह पाया गया आग पर काबू

Chardham Uttarakhand: 10 मई को खुलेंगे तृतीय तुंगनाथ महादेव मंदिर के कपाट, द्वितीय केदार भवन मद्महेश्वर के कपाट 20 मई को खुलेंगे

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उत्तराखंड में (Chardham Uttarakhand) द्वितीय केदार भवन मद्महेश्वर और तृतीय कपाट तुंगनाथ मंदिर के कपाट खुलने की तिथि तय कर दी गई है। मई के महीने में दोनों धामों के कपाट भक्तों के लिए खोल दिए जाएंगे। पंच केदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ और मरकटेश्वर मंदिर मक्कू में विशेष पूजा– अर्चना के बाद मंदिर के कपाट खुलने की तिथि घोषित की गई। द्वितीय केदार भवन मद्महेश्वर के कपाट इस वर्ष 20 मई को खुलेंगे, इसी के साथ तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट 10 मई को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। जानिए उत्तराखंड के तुंगनाथ महादेव मंदिर के बारे में (Chardham Uttarakhand) तुंगनाथ महादेव मंदिर विश्व में सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित शिव धाम है। यह रुद्रप्रयाग जिले में समुद्र की सतह से 3,680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। तुंगनाथ मंदिर में भगवान शिव के साथ-साथ भगवती, उमा देवी और 11 लघु देवियां भी पूजी जाती हैं। आपको बता दें की मई के महीने में तुंगनाथ का डोला या दिवारा निकाला जाता है, जो की पंचकोटि गांव का फेरा लगाता है। इस डोले के साथ गाजे– बाजे और निसाण भी होते हैं। मान्यता के अनुसार तुंगनाथ मंदिर में भगवान शिव के बाहु यानी भुजा की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि रावण ने इसी स्थान पर तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किया था और इसके बदले में शिव जी ने उसे अतुलनीय भुजाबल दिया था। इस घटना के प्रतीक रूप में यहां पर रावणशिला और रावण मठ भी है। तुंगनाथ मंदिर में महाभारत से भी जुड़ी कई कहानियां है। जानिए उत्तराखंड के शिव मंदिर मद्महेश्वर के बारे में (Chardham Uttarakhand) मद्महेश्वर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में ऊखीमठ के पास स्थित है। यहां शिव की पूजा नाभी लिंगम के रूप में की जाती है। मद्महेश्वर के बारे में कहा जाता है कि यहां की पवित्र जल की चंद बूंदे ही मोक्ष के लिए काफी है। ऐसा भी कहा जाता है कि जो इंसान भक्ति या बिना भक्ति के भी मद्महेश्वर के महात्म्य को सुनता या पढ़ता है उसे बिना कोई और चीज करे शिव के धाम की प्राप्ति हो जाती है। मान्यता है कि कोई भी अगर यहां पिंडदान करता है तो उसकी सौ पुश्तें तक तर जाती हैं। Chardham Uttarakhand यह भी पढ़ें पर्वतीय क्षेत्रों में 13 अप्रैल से बारिश का येलो अलर्ट जारी, लगातार बदल रहा है मौसम