उत्तराखंड के दीपक कठैत की (An Elegy Of Being and Time) कलाकृतियों की नई सीरीज ‘एन एलीगी आफ बीइंग एंड टाइम’ को प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय फोटोग्राफी महोत्सव ‘आलर्स रेनकंट्रेस डे ला फोटोग्राफी’ में चुना गया है। इसे जुलाई के पहले हफ्ते में फ्रांस के आलर्स शहर में प्रदर्शित किया जाएगा।
जानिए कौन है कलाकार दीपक कठैत (An Elegy Of Being and Time)
दीपक कठैत भारत के एक उभरते हुए समकालीन दृश्य कलाकार हैं। वे मूल रूप से उत्तराखंड के चमोली जिले से आते हैं। दीपक कठैत का सपना भारतीय कला को विश्व स्तर पर पहचान दिलाना है। इसके साथ ही वह दुनिया के लगभग 300 से ज्यादा लीडिंग म्यूजियमस, आर्ट गैलरी, फेयर एंड आर्ट फेस्टिवल में प्रदर्शित कर भारतीय कला संस्कृति में अपना योगदान देना चाहते हैं। आपको बता दें कि दीपक दुनिया के सबसे बड़े कला और डिजाइन विश्वविद्यालय ‘द रॉयल कॉलेज ऑफ़ आर्ट’, लंदन से पढ़े हैं।
अपनी कलाकृतियों में कठैत ने मानवीय आंतरिक परिस्थिति पर विचार किया है। वह मानवीय चेतना और आध्यात्मिक वास्तविकता में रुचि रखते हैं। अपनी कला के माध्यम से वे मन की चिंता, घृणा और क्रूर स्थिति के बारे में भी सामूहिक आत्म जागरूकता बढ़ाने का प्रयास करते हैं। An Elegy Of Being and Time
फ्रांस में किया जाता है यह फेस्टिवल आयोजित (An Elegy Of Being and Time)
आपको बता दे विश्व कैलेंडर में लोकप्रिय फेस्टिवल का आयोजन फ्रांस की सांस्कृतिक और विरासत नगरी आलर्स में होता है। यह फेस्टिवल 1970 के बाद हर साल गर्मियों में शहर के अलग-अलग विरासत स्थलों पर 40 से अधिक प्रदर्शनियों के दौरान प्रसारित होता है। इसी के साथ यह फोटोग्राफिक और समकालीन कलाकारों के लिए स्प्रिंग बोर्ड की भूमिका निभाने में प्रमुख प्रभाव करता है।
किस विषय पर किया है दीपक ने फोकस (An Elegy Of Being and Time)
जानकारी के अनुसार दीपक कठैत की चयनित श्रृंखला ‘एन अलीगी ऑफ बीइंग एंड टाइम’ पूरे विश्व में अशांति और संघर्ष, विशेष रूप से गाजा और यूक्रेन में हो रहे युद्ध जिसमें सैकड़ों निर्दोष लोगों की मौत हो रही है उनके लिए एक श्रद्धांजलि है। उनकी यह कला श्रृंखला जलवायु परिवर्तन, नस्लवाद और अन्य प्रमुख विश्व की चुनौतियां पर आधारित है। An Elegy Of Being and Time
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