बांग्लादेश में हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया, जिससे अशांति की लहर दौड़ गई और अंतरिम सरकार का गठन हुआ। राजनीतिक उथल-पुथल और क्षेत्र पर इसके प्रभाव के बारे में नवीनतम अपडेट जानें।
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को उनका एक बयान ले डूबा। इसे पूरा बयान भी कहना उचित नहीं होगा। दरअसल शेख हसीना को उनके बयान का एक अलफाज़ भारी पड़ गया। वो अल्फाज़ है ‘रज़ाकार’। बांग्लादेश में 1971 के बाद से ही स्वतंत्रता सेनानियों को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण का प्राविधान है।
लेकिन आज यह हालात है कि स्वतंत्रता सेनानियों के आश्रितों के बाद अब उनके पोते-पोतियों को भी 30 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है। बांग्लादेश में छात्र इसी गंभीर मुद्दे को लेकर आंदोलन कर रहे हैं जो कि अब हिंसात्मक रूप ले चुका है।दरअसल, मामले ने तब और तूल पकड़ा जब प्रधानमंत्री हसीना ने अदालती कार्यवाही का हवाला देते हुए प्रदर्शनकारियों की मांगों को पूरा करने से इनकार कर दिया। सरकार के इस कदम के चलते छात्रों ने अपना विरोध तेज कर दिया। शेख हसीना ने प्रदर्शनकारियों को ‘रजाकार’ की संज्ञा दी।
14 जुलाई को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब प्रधानमंत्री से छात्र विरोध प्रदर्शन के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा, श्यदि स्वतंत्रता सेनानियों के पोते-पोतियों को कोटा नहीं मिलता है, तो किसे मिलेगा? रजाकारों के पोते-पोतियों को?, दरअसल, बांग्लादेश के संदर्भ में रजाकार उन्हें कहा जाता है जिन पर 1971 में देश के साथ विश्वासघात करके पाकिस्तानी सेना का साथ देने के आरोप लगा था।वहीं अब खबर अए रही है कि प्रधानमंत्री शेख़ हसीना ने इस्तीफ़ा दे दिया और देश छोड़ दिया है. बताया जा रहा है कि देश छोड़ते वक़्त उनके साथ उनकी बहन शेख़ रेहाना भी थीं.
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बीच इस्तीफा दिया, सेना प्रमुख ने अंतरिम सरकार बनाई
घटनाओं के एक चौंकाने वाले मोड़ में, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बीच इस्तीफा दे दिया और देश छोड़ दिया, जिससे सेना प्रमुख जनरल वकार-उज़-ज़मान के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन हुआ।
राजधानी ढाका में अराजकता देखी गई क्योंकि प्रदर्शनकारियों ने इंदिरा गांधी सांस्कृतिक केंद्र और बंगबंधु स्मारक संग्रहालय जैसे महत्वपूर्ण स्थलों को नुकसान पहुंचाया। अशांति इस हद तक बढ़ गई कि ढाका हवाई अड्डे को छह घंटे के लिए बंद करना पड़ा, जिससे सभी विमान परिचालन बाधित हो गए।
अशांति ने न केवल आंतरिक मामलों को प्रभावित किया है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को भी प्रभावित किया है। चल रहे राजनीतिक संकट के कारण भारत-बांग्लादेश व्यापार रुक गया है। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) भारत-बांग्लादेश सीमा पर स्थिति पर कड़ी निगरानी रख रहा है, तथा बांग्लादेश में कर्फ्यू के मद्देनजर यातायात की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा रहा है।
एयर इंडिया ने यात्रियों की सुरक्षा के लिए एहतियाती कदम उठाए तथा इस उथल-पुथल भरे दौर में ढाका से आने-जाने वाली सभी निर्धारित उड़ानें रद्द कर दीं। हालांकि, दूरसंचार दिग्गज ग्रामीणफोन ने बांग्लादेश में अपना मोबाइल नेटवर्क बहाल कर दिया, जिससे लोगों को आवश्यक मोबाइल इंटरनेट सेवाओं तक पहुंच मिल सकी।
अफरातफरी के बीच, बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना दिल्ली के निकट हिंडन एयर बेस पर उतरीं तथा कथित तौर पर लंदन के लिए रवाना हो गईं। भारतीय सुरक्षा एजेंसियां सी-130 विमान पर कड़ी नजर रख रही हैं, जिसके बारे में माना जा रहा है कि वह शेख हसीना को लेकर दिल्ली की ओर जा रहा है।
सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान ने जनता को आश्वासन दिया है कि हत्याओं सहित सभी अपराधों की गहन जांच की जाएगी तथा न्याय होगा। उन्होंने देश में व्यवस्था बहाल करने के लिए नागरिकों से शांति तथा सहयोग का आह्वान किया।
सेना ने बांग्लादेश में कानून-व्यवस्था को अपने नियंत्रण में ले लिया है, तथा निकट भविष्य में अंतरिम सरकार स्थापित करने की योजना है। सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पों के बाद सख्त कर्फ्यू के तहत ढाका की सुनसान सड़कों पर सशस्त्र सैनिक गश्त कर रहे हैं।
शेख हसीना का इस्तीफा एक विवादास्पद सरकारी नौकरी कोटा योजना के खिलाफ़ भड़के घातक विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर आया है। देशव्यापी विद्रोह ने लोकतंत्र के पुनर्निर्माण और मानवाधिकारों को कायम रखने का मार्ग प्रशस्त करने के लिए उनके इस्तीफे की मांग की।
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