BSF Soldier Declared Martyred After 30 Years: 30 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद सीमा सुरक्षा बल (BSF) के लांस नायक प्रेम सिंह रावत को आखिरकार भारत सरकार और बीएसएफ मुख्यालय द्वारा शहीद का दर्जा प्रदान किया गया। बीएसएफ बरेली के कमांडेंट दिनेश सिंह ने यह सम्मान हल्द्वानी में उनके परिजनों को सौंपा।
BSF की नई पहल
उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के रिकोशा गांव के रहने वाले प्रेम सिंह रावत वर्ष 1984 में बीएसएफ में भर्ती हुए थे। 23 अगस्त 1994 को पश्चिम बंगाल के जलांगी पोस्ट पर तैनाती के दौरान बांग्लादेशी तस्करों से मुठभेड़ में उन्होंने वीरगति प्राप्त की थी। उनका पार्थिव शरीर पद्मा नदी से बरामद हुआ था। जिसके बाद इतने सालों से अब तक उनके बलिदान को कोई भी पहचान नहीं मिली थी, लेकिन 30 साल बाद आखिकार उन्हें शहीद का दर्जा दिया गया है।
आपको बता दें, बीएसएफ कमांडेंट दिनेश सिंह ने बताया कि प्रेम सिंह रावत को “ऑपरेशनल कैजुअल्टी” के रूप में मान्यता दी गई है। बीएसएफ अब ऐसे सभी वीर बलिदानियों को सम्मानित करने की पहल कर रही है।
परिवार के लिए भावुक करने वाला क्षण
सीमा सुरक्षा बल (BSF) के कमांडेंट आफिसर दिनेश सिंह मंगलवार को हल्दुवानी के ऊंचापुल स्थित पीडी कॉलोनी में लांस नायक प्रेम सिंह रावत के परिवार से मिले और उन्हें शहीद सम्मान-पत्र सौंपा। इस सम्मान-पत्र में राष्ट्र के लिए उनके बलिदान का उल्लेख किया गया है।
इस अवसर पर वीरांगना गुड्डी देवी रावत, पुत्र सूर्यप्रताप रावत और भाई धन सिंह रावत भी मौजूद थे। शहीद का दर्जा मिलने के बाद परिवार के अन्य सदस्य सहित पूरे गांव ने इस सम्मान के लिए भारत सरकार और बीएसएफ का आभार व्यक्त किया है। गांव के लोगों ने कहा कि यह देर से मिला न्याय है, लेकिन इससे देश की पीढ़ियों को प्रेरणा मिलेगी।
