Choti Diwali 2024: अक्टूबर का महीना आते ही त्योहारों की झड़ी सी लग जाती है। इस वर्ष दिवाली का त्योहार अक्टूबर महीने के अंत में मनाया जा रहा है। धनतेरस 29 अक्टूबर तो वही छोटी दीपावली 30 अक्टूबर को मनाई जा रही है। सभी लोग दीपावली हर वर्ष बड़ी धूमधाम से मनाते हैं, लेकिन कुछ ही लोगों को दीपावली का धार्मिक अर्थ और कहानी ज्ञात होती है। आज हम आपको छोटी दीपावली का महत्व और इतिहास बताते हैं।
छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी
दीपावली से एक दिन पूर्व मनाए जाने वाले त्योहार को छोटी दीपावली कहा जाता है, जबकि इसका वास्तविक नाम रूप चतुर्दशी है। कुछ प्राचीन ग्रंथो में इस नर्क चौदस भी कहा गया है। शास्त्रों का कथन है कि भगवान विष्णु ने आज के दिन ही नरकासुर नामक दैत्य का वध किया था और इसी कारण कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की इस चतुर्दशी का एक नाम नरक चौदस भी है। जबकि पूर्ण स्वच्छता और श्रृंगार किए जाने के कारण रूप चतुर्दशी कहा जाता है।
आपको बता दे प्राचीन धर्म ग्रंथो का यह भी कहना है कि आज जो व्यक्ति अपने घर और तन मन की पूर्ण सफाई करता है और स्नान ध्यान करके शाम को दीपदान करता है उसे नर्क में नहीं जाना पड़ता।
सजावट का है विशेष महत्व
आज घर और स्वयं के शरीर की संपूर्ण सफाई विशेष रूप से करनी चाहिए क्योंकि यह माना जाता है कि जो व्यक्ति आज के दिन गंदा रहता है वह पूरे वर्ष दरिद्र और दीन– हीन बना रहता है। आजकल दीपावली के त्यौहार के दिन घरों की पूर्ण सफाई और सजावट कई दिन पहले ही कर ली जाती है, मगर पहले घरों और संपूर्ण गांव की सफाई आज के दिन विशेष रूप से की जाती थी। आज शाम को दीप जलाते समय स्त्रियां नए वस्त्र और आभूषण पहनकर श्रृंगार करती है। इसलिए आज के दिन को रूप चतुर्दशी भी कहा जाता है।
छोटी दिवाली को जलाएं इतने दिए
आज के दिन दीपावली की तरह असंख्य नहीं मात्र ग्यारह, इक्कीस या इक्कतीस दीपक जलाने का विधान है। 5 या 7 दीपक तो घी के जलाए जाते हैं और बाकि तेल से। घी का एक-एक दीपक पूजा के स्थान, रसोई, पानी रखने के स्थान, भंडार गृह और गौशाला में रखा जाता है। दीपक जलाते समय रोली, चावल, खील और बताशों से उनकी पूजा भी की जाती है।