Nikay Chunav Uttarakhand: उत्तराखंड में निकाय चुनाव का बिगुल बज चूका है। इस साल ये चुनाव कई सवालों के घेरे से निकलते हुए अपने पड़ाव पर पहुँचने वाला है। हमारी आज की इस इनसाइट्स रिपोर्ट में आपको उत्तराखंड के निकाय चुनाव से जुड़े उन इनसाइट्स पर ला कर बात करेंगे जिसे जानना आपके लिए बेहद ही ज़रूरी है।
जानिए क्या होता है निकाय चुनाव
हमारे देश में चुनाव होने के 3 स्तर है, जिसमें पहला लोकसभा, दूसरा विधानसभा और तीसरा निकाय या स्थानीय चुनाव होता है, जिसे हम आम भाषा मे ‘पंचायत’ या ‘नगर निगम चुनाव’ के नाम से भी जानते हैं | बात करे निकाय चुनाव की तो जमीनी स्तर पर जनता की समस्याओं के समाधान के लिए ये चुनाव कराये जाते है | इसका मुख्य उद्देश्य स्थानीय स्तर पर होनें वाली प्रगति में तेजी लाना होता है | यह चुनाव शहरों से लेकर कस्बों तक उन जरूरी मुद्दों पर काम करते है जिसे आम जनता को जरूरत होती है।
हालाँकि, पहले तक इस चुनाव का भारतीय संविधान में कोई प्राविधान नहीं था, जबकि यह चुनाव अपने– अपने स्तर पर पहले भी होते थे, लेकिन उनकी किसी भी तरह की संवैधानिक व्यवस्था नहीं थी | स्थानीय शासन के अंतर्गत इसे सबसे पहले नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत में बांटा गया है |

यह चुनाव किस तरह जनता के लिए खास
वहीं हम नगर निगम की बात करे तो ऐसे शहर जिसमें लोगो की जनसँख्या 10 लाख से अधिक है, ऐसे शहरों को नगर निगम कि संज्ञा दी जाती है | जानकारी के लिए बता दे, उत्तराखंड में अगस्त 2024 में धामी कैबिनेट की मंज़ूरी के बाद, उत्तराखंड में नगर निगमों की संख्या 11 हो गई है, इन नगर निगमों में देहरादून, ऋषिकेश, हरिद्वार, रुड़की, रुद्रपुर, काशीपुर, कोटद्वार, श्रीनगर, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा शामिल हैं। बता दे की एक नगर निगम के अंतर्गत मेयर और पार्षद का चुनाव होता है |
इसी क्रम में ऐसे शहर जिसमें लोगो की जनसँख्या 10 लाख से कम होती है, उन शहरों में नगर पालिका द्वारा स्थानीय विकास किया जाता है | इसे स्थानीय स्वशासन वाली राजनीतिक इकाई भी कहा जाता है, जिसमें एक छोटे शहरी क्षेत्र के लिए स्थानीय सरकार होती है। वर्तमान में उत्तराखंड में कुल 43 नगर पालिका परिषदें हैं, जिसमें एक नगर पालिका के अंतर्गत अध्यक्ष और सभासद का चुनाव होता है | वहीं, एक नगर पंचायत के अंतर्गत पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान, बीडीसी आदि का चुनाव होता है | उत्तराखंड में अभी मौजूदा 46 नगर पंचायतें हैं ।

