उत्तराखंड में क्यों मनाई जाती है दीपावली के 11वें दिन बाद ‘बूढ़ी दीपावली’, जानिये इस पर्व के बारे में…..

Igaas Bagwal 2024: दीपावली पूरे देश भर में मनाए जाने वाला एक बड़ा त्यौहार है। देशभर में बड़े धूमधाम से मनाए जाने वाली छोटी और बड़ी दिवाली के बाद उत्तराखंड में बूढ़ी दीपावली भी मनाई जाती है। जानिए उत्तराखंड के इस खास लोक पर्व के बारे में–

जानिए क्या है इगास का पर्व

बूढ़ी दीपावली उत्तराखंड और हिमाचल में मनाए जाने वाला एक बहुत ही खास पर्व है। पहाड़ की प्रसिद्ध परंपरा में से एक है बूढ़ी दीपावली जिसे ‘इगास बग्वाली’ भी कहा जाता है। आपको बता दे, कृष्ण पक्ष की अमावस्या को बूढ़ी दीपावली मनाई जाती है जिसे दिवाली के 11वें दिन मनाया जाता है।
इस वर्ष यह त्यौहार 12 से 15 नवंबर तक मनाया जाएगा। दीपावली के दिन जिस तरह लोग चारों ओर दिए और आतिशबाजी करते हैं उसी प्रकार यह पर्व थोड़ा अलग तरीके से मनाया जाता है। इस दौरान लोग पटाखे की जगह तीन दिन लगातार रात को मशाल जलाकर बूढ़ी दीपावली का त्यौहार मनाते हैं।

क्यों मनाई जाती है 11वें दिन यह दिवाली

दीपावली से 11वें दिन बूढ़ी दीपावली या इगास का पर्व मनाने के पीछे खास वजह यह है कि हिमाचल और उत्तराखंड तक भगवान श्री राम के अयोध्या पहुंचने की खबर करीब 11 दिन बाद पहुंची थी, जिसके चलते यह पर्व का नाम इगास या बूढ़ी दीपावली से जाना जाने लगा। इस दौरान लोग अलग-अलग तरीके से तीन दिन तक लगातार इस पर्व को मानते हैं।
पर्व के दिन लोग स्वांग के साथ परोकड़ियां गीत, रासा, नातियां, विरह गीत भयूरी, हुड़क नृत्य और बढ़ेचू नाच के साथ बूढ़ी दिवाली का जश्न मनाते हैं।

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Anjali Bhatt
Anjali Bhatt

Anjali Bhatt is a young journalist associated with digital media in Uttarakhand. Currently, Anjali is connected with TII. She covers Uttarakhand districts along with Lifestyle, National and International News.