भारत में सिगरेट और बीड़ी ना पीने वालों में भी फेफड़े (Lung Cancer) का कैंसर तेजी से फैल रहा है। स्टडी के मुताबिक वायु प्रदूषण व ऐस्बेस्टोस, क्रोमियम, कैडमियम और आर्सेनिक के संपर्क में आना इसका एक अहम कारण माना जा रहा है। 1990 में भारत में प्रति एक लाख आबादी पर इस कैंसर की दर 6.62 थी जो की 2019 में बढ़कर 7.7 हो गई थी। हालही में आई रिपोर्ट के अनुसार कैंसर प्रति व्यक्ति दर बढ़कर 100.4 व्यक्ति प्रति एक लाख आबादी हो चुका है।
फेफड़ों का कैंसर क्या है? Lung Cancer
फेफड़ों का कैंसर एक गंभीर रोग है जिसमें फेफड़ों के ऊतकों में अनियंत्रित कोशिकाओं की वृद्धि होती है। यह कैंसर मुख्यतः दो प्रकार का होता है: छोटे कोशिका कैंसर (Small Cell Lung Cancer) और गैर-छोटे कोशिका कैंसर (Non-Small Cell Lung Cancer)।
2. फेफड़ों के कैंसर के लक्षण | Lung Cancer
फेफड़ों के कैंसर के लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं और इसमें शामिल हो सकते हैं:
- लगातार खांसी
- खांसी में खून आना
- सांस लेने में कठिनाई
- वजन का अनचाहा कम होना
- छाती में दर्द
3. फेफड़ों के कैंसर के कारण | Lung Cancer
फेफड़ों के कैंसर के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
- धूम्रपान: यह फेफड़ों के कैंसर का सबसे बड़ा कारण है।
- पर्यावरणीय कारक: एयर पॉल्यूशन, रसायनों के संपर्क में आना।
- आनुवांशिक: यदि परिवार में किसी को फेफड़ों का कैंसर है तो जोखिम बढ़ जाता है।
4. फेफड़ों के कैंसर की जांच | Lung Cancer
फेफड़ों के कैंसर की पुष्टि करने के लिए निम्नलिखित परीक्षण किए जा सकते हैं:
- छाती का एक्स-रे
- सीटी स्कैन
- बायोप्सी
- पीईटी स्कैन
5. फेफड़ों के कैंसर का उपचार | Lung Cancer
फेफड़ों के कैंसर का उपचार निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है:
- सर्जरी: कैंसरयुक्त ऊतकों को हटाने के लिए।
- रेडियोथेरेपी: कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए।
- कीमोथेरेपी: कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए दवाइयों का उपयोग।
- इम्यूनोथेरेपी: शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर से लड़ने में मदद करने के लिए।
6. फेफड़ों के कैंसर से बचाव | Lung Cancer
फेफड़ों के कैंसर से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:
- धूम्रपान न करें और धूम्रपान करने वालों से दूर रहें।
- स्वच्छ वायु में सांस लें।
- नियमित स्वास्थ्य जांच कराते रहें।
- स्वस्थ आहार और व्यायाम करें।
फेफड़ों का कैंसर एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, लेकिन शुरुआती पहचान और सही उपचार से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। जागरूकता और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर इस रोग से बचा जा सकता है।
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