उत्तराखंड (Drinking Water Crises) में गर्मी बढ़ने के साथ ही पेयजल की समस्या भी खड़ी होने लगी है, ज्यादातर पर्वतीय क्षेत्र में सूखने से लोगों को पीने के पानी की कमी होने लगी है। जिसको देखते हुए पहाड़ को पेयजल समस्या से निजात दिलाने के लिए कदम उठाया है, जिसके लिए संस्थान की योजना पर्वतीय क्षेत्र में सूख चुके 311 हैंडपंप को फिर से रिचार्ज करने की है। जिसके तहत पहाड़ों से बारिश के पानी को पीवीसी पाइप के जरिए हैंडपंप तक लाकर जमीन के नीचे पहुंचा जाएगा जिससे भूजल का स्थल बढ़ सकेगा और जल संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा।
4.67 करोड़ खर्च का लगाया अनुमान | Drinking Water Crises
जल संस्थान का दावा है कि कुछ योजनाओं के मुताबिक कार्य योजनाओं के मुताबिक हुआ तो ज्यादातर हैंड पंप इसी साल में फिर से पानी देने लगेंगे इसमें लगभग 4.67 करोड रुपए का खर्च होने का अनुमान लगाया गया है। आपको बता दें कि जल संस्थान के द्वारा करीब 10 साल पहले राज्य के अलग-अलग परिवार के जिलों में 1094 हैंड पंप लगाए गए थे लेकिन भूजल का स्तर गिरने से हैंडपंप भी चले गए वर्तमान काल में 311 हैंडसम सबसे ज्यादा 89 पौड़ी जिले के कोटद्वार में है।
आपको बताने की जब इन हैंड पंप से पानी निकलना बंद हो गया तो विभाग में हैंडपंपों को मशीन से निकलकर उनका प्रयोग दूसरी जगह पर करना शुरू कर दिया लोगों को गर्मी के मौसम में भारी परेशानी होती है। विभाग के द्वारा इन हैंड पंप को फिर से रिचार्ज करने की योजना बनाई गई है जिसको लेकर विभाग का अनुमान है कि एक हैंडपंप पर करीब डेढ़ लाख रुपए खर्च किए जाएंगे इसके अनुसार परियोजना का बजट तैयार करके जल्द ही शासन को भेजा जाएगा और वहां से धनराशि मिलने पर कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
ऐसे किया जाएगा रीचार्ज | Drinking Water Crises
विभाग के मुताबिक, सूख चुके हैंडपंप के समीप एक गड्ढा खोद कर उसमें जाली बिछाई जाएगी। इसके बाद पहाड़ों से पीवीसी पाइप के माध्यम से वर्षा के पानी को हैंडपंप के समीप लाकर उक्त गड्ढे के माध्यम से जमीन के अंदर प्रवेश कराया जाएगा।
अगले वर्षाकाल में शुरू हो पाएंगे कुछ हैंडपंप | Drinking Water Crises
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि कुछ हैंडपंप का भूजल स्तर काफी कम है। इसे बढ़ाने के लिए इस वर्षाकाल के साथ ही अगले वर्ष होने वाली वर्षा के पानी को भी एकत्र करना पड़ सकता है।
सूखे 42 नौलों में भी पानी की उम्मीद | Drinking Water Crises
पहाड़ी क्षेत्रों में भूजल स्तर कम होने से 42 नौले भी सूख चुके हैं। इस परियोजना से भूजल बढ़ेगा तो सूखे नौलों में भी फिर से पानी आने की उम्मीद है।