उत्तरकाशी में बेअसर सीएम धामी के आदेश, अतिक्रमण करने से बाज नहीं आ रहे लोग | Encroachment In Uttarkashi

उत्तराखंड के (Encroachment In Uttarkashi) सीमांत जनपद में जिला प्रशासन और उत्तराखंड जल विद्युत निगम को अपनी स्वामित्व वाली भूमि पर अतिक्रमण होने से कोई फर्क नहीं पढ़ना नजर आ रहा है जहां भी सरकारी जमीन खाली होती है वहां अतिक्रमण होना शुरू हो जाता है शहर के गोफियारा,इंदिरा कॉलोनी, जोशियाड़, ज्ञानसू और मनेरा क्षेत्र में सड़े 4 हेक्टर क्षेत्र में अतिक्रमण किया गया है।

उत्तरकाशी में सरकारी खाली जमीनों पर पक्के मकान बन चुके है। अतिक्रमण करने वालों में नगर पालिका बाराहाट भी शामिल है कुछ रसूखदार तो ऐसे हैं जिन्होंने 15 नाली से ज्यादा की जमीन पर अतिक्रमण किया है जबकि सरकारी जमीन को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए मुख्यमंत्री के सख्त निर्देश दिए गए हैं लेकिन जिले में सीएम के निर्देश पर अतिक्रमण के खिलाफ कोई कार्यवाही होती नजर नहीं आ रही है। Encroachment In Uttarkashi

अतिक्रमण करता के विरुद्ध नहीं हो रही कार्यवाही। Encroachment In Uttarkashi

यूपी जिला अधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार इंदिरा कॉलोनी मिल से लेकर भटवाड़ी टैक्सी स्टैंड तक 107 लोगों ने 0. 9023 हेक्टेयर राज्य सरकार की जमीन पर एक मंजिल से लेकर 4 मंजिल तक अवैध निर्माण किए हैं। वहीं जिला अधिकारी कार्यालय से 500 मीटर की दूरी पर स्थित गोपी आरा में 127 लोगों ने अतिक्रमण किया है। आपको बता दें कि केवल कुछ अतिक्रमण कार्यों को ही पूर्व में खानापूर्ति के लिए नोटिस दिए गए थे ।

तो वहीं दूसरी और वह प्यार मैं राज्य सरकार के अधीन वाली 2.641 हेक्टेयर जमीन पर अतिक्रमण और अवैध रूप से भवन का निर्माण किया गया है। उपजिलाधिकारी कार्यालय से अतिक्रमण की विस्तृत रिपोर्ट जिलाधिकारी कार्यालय को 24 अगस्त 2022 में भेजी गई थी लेकिन आज तक इस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है।

अतिक्रमण ध्वस्तीकरण की भी नहीं हुई कार्यवाही | Encroachment In Uttarkashi

जल विद्युत निगम ने जोशियाड़ा, ज्ञानसू और मनेरा के 57 को अतिक्रमणकारियों को नोटिस भेज कर कार्यवाही खानापूर्ति की। तीन अतिक्रमणकारियों के खिलाफ पीपीई एक्ट के तहत न्यायालय में केस दर्ज किया गया और तो वही एक के खिलाफ सीआरपीसी के तहत एसडीएम न्यायालय में वाद दायर किया गया। इसके अलावा अतिक्रमण को ध्वस्त करने को लेकर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है। ज्यादातर अतिक्रमणकारियों ने जल विद्युत निगम की भूमिका पर पक्की दुकानें और मकान भी बना लिए हैं।

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