Flying Squirrel Seen In Ranikhet: उत्तराखंड की खूबसूरत पर्यटन नगरी रानीखेत में पहली बार उड़न गिलहरी देखी गई है। सिर्फ रात में दिखने वाली यह रहस्यमयी और विलुप्तप्राय प्रजाति प्रकृति प्रेमियों के लिए किसी सौगात से कम नहीं है।
दुर्लभ जीव हुआ कैमरे मैं कैद
आपको बता दें, यह गिलहरी सिर्फ रात में ही निकलती है और बहुत कम दिखाई देती है। इसी कारण इसे खतरे में पड़ी प्रजातियों में रखा गया है और इसे बचाने के लिए कानून में खास जगह दी गई है जो कि वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची-2 में आता है। यह पहला अवसर है जब इस दुर्लभ जीव को रानीखेत में कैमरे में कैद किया गया। प्रसिद्ध नेचर फोटोग्राफर कमल गोस्वामी ने इस गिलहरी की तस्वीर अपने कमरे से ली, जो अब चर्चा का विषय बनी हुई है।
उड़ती नहीं, ग्लाइड करती है
हालांकि इसे ‘उड़न गिलहरी’ कहा जाता है, लेकिन यह वास्तव में उड़ती नहीं, बल्कि पेड़ों के बीच झिल्ली के सहारे ग्लाइड करती है। इसकी गर्दन से पूंछ तक फैली पतली झिल्ली इसकी खास पहचान है। यह आसानी से लंबी दूरी तय कर लेती है। इसका शरीर लगभग 30 से 45 सेंटीमीटर लंबा होता है, जबकि इसकी फूली हुई पूंछ 40 से 50 सेंटीमीटर तक हो सकती है। एक वयस्क उड़न गिलहरी का वजन 1.5 से 2 किलोग्राम के बीच होता है।
सामान्य गिलहरी से अलग, रहस्यमय जीव
उड़न गिलहरी एक दुर्लभ जीव है जो पर्यावरण का संतुलन रखने में भी अहम भूमिका निभाता है। यह फल, बीज, फूल, कोमल पत्तियां और कीट-पतंगे खाता है।
उड़न गिलहरी जब फल खाती है, तो उनके बीज जमीन पर गिर जाते हैं जिसकी मदद से नए पौधे उगते हैं। यह खुद उल्लू, सांप और जंगली बिल्लियों जैसे शिकारी जीवों का शिकार भी बन जाती है। आपको बता दें, ये गिलहरी साल में सिर्फ एक ही बार 1 से 3 बच्चों को जन्म देती है।