Misuse of Afforestation Funds: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की हालिया रिपोर्ट में उत्तराखंड के वन विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। आपको बता दें कि रिपोर्ट में पता चला है कि उत्तराखंड के वन विभाग ने पेड़ लगाने के लिए मिले 13.86 करोड़ रुपये का गलत इस्तेमाल किया। बताया जा रहा है कि यह पैसा आईफोन, लैपटॉप, फ्रिज, कूलर खरीदने, सरकारी इमारतों की मरम्मत और कोर्ट केस में खर्च कर दिया गया, जबकि इसे जंगलों में नए पेड़ लगाने के लिए इस्तेमाल किया जाना था।
वनरोपण प्रभावित
नियमों के अनुसार, जंगल काटे जाने के बाद एक या दो साल के अंदर नए पेड़ लगाने चाहिए थे। लेकिन 37 मामलों में, अंतिम मंजूरी मिलने के 8 साल बाद भी पेड़ नहीं लगाए गए, जिससे 11.54 करोड़ रुपये की अतिरिक्त लागत आई। जो पेड़ लगाए भी गए, उनमें से सिर्फ 33.51% ही जिंदा बचे, जबकि इसे 60-65% होना चाहिए था। इसके अलावा, लगाए गए पेड़ों की जीवित रहने की दर मात्र 33% पाई गई, जो अनिवार्य 60-65% से काफी कम है।
गलत जगह पर पेड़ लगाने की योजना
रिपोर्ट में पाया गया कि 1,204 हेक्टेयर जमीन पेड़ लगाने के लिए उपयुक्त नहीं थी। फिर भी अधिकारियों ने इसे सही बताकर फर्जी प्रमाणपत्र दे दिए। लेकिन इस लापरवाही पर किसी भी अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। साथ ही, रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि सरकार ने 2019 से 2022 के बीच 275.34 करोड़ रुपये का ब्याज नहीं चुकाया, जो सीएएमपीए को देना था।
इस रिपोर्ट के बाद CAG ने सरकार को सलाह दी है कि पैसा सही जगह पर इस्तेमाल हो, इसके लिए सख्त नियम बनाए जाएं और खर्च पर नजर रखी जाए। जिससे पर्यावरण को बचाने के प्रयासों को नुकसान न पहुंचे।