आरबीआई ने जनता को अपरिवर्तित रेपो दर का आश्वासन दिया है, लेकिन कर्ज का बोझ कम करने के लिए कम ब्याज दरों का संकेत दिया है

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने जनता को अपरिवर्तित रेपो दर का आश्वासन दिया है, लेकिन कर्ज का बोझ कम करने के लिए भविष्य में कम ब्याज दरों का संकेत दिया है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास द्वारा घोषित इस फैसले को शेयर बाजार में सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। रेपो रेट 6.50% पर बरकरार रहने के साथ समिति के सभी छह सदस्य इसे अपरिवर्तित रखने के पक्ष में थे। इस निर्णय से आम जनता को आश्वासन मिलने और होम लोन और अन्य ब्याज दरों में स्थिरता सुनिश्चित होने की उम्मीद है। साथ ही भविष्य में ब्याज दरें घटने की संभावना से कर्जदारों को फायदा होगा। आरबीआई ने वित्तीय वर्ष 2024 में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए 7% की वृद्धि दर का अनुमान लगाया है, जिसमें बेहतर उत्पादन और ग्रामीण मांग को योगदान कारक बताया गया है। सरकार का बढ़ा हुआ खर्च भी आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने में भूमिका निभाता है। अक्टूबर के आंकड़ों में 8 करोड़ उद्योगों में वृद्धि दर्शाए जाने से अर्थव्यवस्था में सकारात्मक रुझान दिख रहा है। ऑनलाइन प्रकाशन लोकमत का यह लेख रेपो रेट को अपरिवर्तित रखने के आरबीआई के फैसले और आम जनता पर इसके संभावित प्रभाव पर केंद्रित है। इस निर्णय का उद्देश्य उच्च मुद्रास्फीति का सामना कर रही जनता के लिए ऋण का बोझ कम करना है और यह विकास को बनाए रखने की अर्थव्यवस्था की क्षमता में विश्वास को भी दर्शाता है।

हाल ही में मौद्रिक नीति समिति की बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट को अपरिवर्तित रखने का फैसला किया। यह घोषणा आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने की, जिन्होंने कहा कि समिति के सभी छह सदस्य मौजूदा दर को बनाए रखने के पक्ष में थे।

ये भी पढ़े:  उत्तराखंड शासन में हुई बड़ी फेर बदल, 5 आईएएस अफसरों समेत 6 अफसरों के हुए तबादले | IAS Officer's Transfer in Uttarakhand

रेपो रेट, जो वह दर है जिस पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों को पैसा उधार देता है, 6.50% पर रहेगा। इस निर्णय से आम जनता को आश्वासन मिलने और होम लोन और अन्य ब्याज दरों में स्थिरता सुनिश्चित होने की उम्मीद है।

क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों और बैंक ऑफ बड़ौदा के विशेषज्ञों ने इस मामले पर अपनी राय व्यक्त की थी, कुछ ने भविष्य में ब्याज दरों में कमी की उम्मीद की थी। इससे उन कर्जदारों को फायदा होगा जो वर्तमान में उच्च मुद्रास्फीति और कर्ज के बोझ का सामना कर रहे हैं।

घोषणा से शेयर बाजार में सकारात्मक प्रतिक्रिया हुई, जिससे पता चला कि निवेशकों को आरबीआई के फैसले और समग्र आर्थिक दृष्टिकोण पर भरोसा है। आरबीआई ने बेहतर उत्पादन और ग्रामीण मांग जैसे कारकों का हवाला देते हुए वित्तीय वर्ष 2024 में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए 7% की विकास दर का अनुमान लगाया है।

इस वृद्धि में योगदान देने वाले कारकों में से एक सरकार का बढ़ा हुआ व्यय है, जिसने आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में भूमिका निभाई है। अक्टूबर के आंकड़े 8 करोड़ उद्योगों में वृद्धि दर्शाते हैं, जो अर्थव्यवस्था में सकारात्मक रुझान का संकेत है।

यह जानकारी ऑनलाइन प्रकाशन लोकमत द्वारा प्रकाशित एक लेख से मिली है, जो अन्य विषयों के अलावा व्यावसायिक समाचार भी प्रदान करता है। लेख का फोकस रेपो रेट को अपरिवर्तित रखने के आरबीआई के फैसले और आम जनता पर इसके संभावित प्रभाव पर है।

कुल मिलाकर, यह निर्णय अर्थव्यवस्था की विकास को बनाए रखने की क्षमता और जनता के लिए ऋण के बोझ को कम करने की प्रतिबद्धता में आरबीआई के विश्वास को दर्शाता है। इससे यह भी संकेत मिलता है कि भविष्य में ब्याज दरें घटने की संभावना है, जिससे कर्जदारों को राहत मिल सकती है।

ये भी पढ़े:  Uttarakhand Soldier Martyred: शहीद हुए उत्तराखंड के 1 और जवान, राज्य में छाई शोक की लहर

Trishla Tyagi
Trishla Tyagi

Trishla is a news writer and social media aficionado. She has substantial experience in covering updates, events, and news related to the different space, along with rapidly expanding blockchain and financial technology markets. Her experience in the cryptocurrency market has led her to become a crypto hodler herself.