CM धामी का जारी बुलडोजर अभियान , जल्द 525 घरों का होगा ध्वस्तीकरण …

Rispana Encroachment Soon: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने उत्तराखंड सरकार को देहरादून की रिस्पना नदी के किनारे बने 525 अवैध मकानों को तोड़ने का आदेश दिया है। यह मकान फ्लड जोन में बने हैं, जहां निर्माण करना नियमों के खिलाफ है।

525 अवैध मकान चिन्हित

इस साल एनजीटी के आदेश पर नगर निगम और एमडीडीए ने 27 बस्तियों में 525 अवैध निर्माण चिन्हित किए गए थे जिसमें 89 मकान नगर निगम के,12 मसूरी नगर पालिका के, 415 एमडीडीए की जमीन पर, 9 मकान राज्य सरकार की जमीन पर बने हैं। पहले कुछ मकानों को तोड़ा गया था, लेकिन विरोध की वजह से पूरी कार्रवाई नहीं हो पाई थी।

फ्लड जोन में निर्माण पर रोक

एनजीटी ने साफ कहा कि बाढ़ वाले क्षेत्रों में स्थायी निर्माण नहीं हो सकता। इन मकानों को हटाने और अतिक्रमण रोकने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे।
उत्तराखंड विधानसभा का वह कानून, जो अतिक्रमण को रोकने की कोशिश करता है, एनजीटी के अनुसार पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत लागू नहीं होगा।

गंभीर मुद्दों पर एनजीटी की नजर

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने रिस्पना नदी से जुड़े तीन अहम मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया है। पहला, नदी के फ्लड जोन का सीमांकन, ताकि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में निर्माण रोका जा सके। दूसरा, नदी किनारे हुए अतिक्रमण की पहचान और उन्हें पूरी तरह से हटाने की प्रक्रिया को तेज करना। तीसरा, नदी में अशुद्ध सीवेज डालने पर सख्ती से रोक लगाना। एनजीटी ने इन समस्याओं को पर्यावरण और नदी संरक्षण के लिए बेहद गंभीर बताया है।

प्रदूषण और अतिक्रमण पर रिपोर्ट

एनजीटी ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सरकार, पेयजल निगम और जल संस्थान से 13 फरवरी तक रिपोर्ट मांगी है, जिसमें रिस्पना नदी में सीवेज रोकने और अतिक्रमण पर की गई कार्रवाई की जानकारी होनी चाहिए। साथ ही, एनजीटी ने कहा कि पूर्व में की गई कार्रवाई आंशिक थी और इसे पूर्ण रूप से लागू किया जाना चाहिए।

एनजीटी ने सभी संबंधित विभागों (जैसे एमडीडीए, नगर निगम, मसूरी पालिका) को जल्द गाइडलाइन जारी कर कार्रवाई का आदेश दिया, और सरकार को एक माह के भीतर अतिक्रमण हटाने और एनजीटी के सामने रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया गया है।

Srishti
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