Supreme Court Ban Electoral Bond : 2018 में शुरू हुई चुनावी बॉन्ड पर कोर्ट ने लगाई रोक, बताया असंवैधानिक |

सुप्रीम कोर्ट (Electoral Bond) ने इलेक्टोरल बॉन्ड पर बड़ा फैसला सुनाते हुए तत्काल रूप से चुनाव बॉन्ड पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक बताते हुए सरकार को किसी दूसरे विकल्प पर विचार करने के आदेश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बांड योजना की आलोचना करते हुए कहा कि राजनीतिक पार्टियों को हो रही फंडिंग की जानकारी मिलना बेहद जरूरी है।

सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई से 6 मार्च तक चुनावी बांड को लेकर जानकारी मांगी है कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा है कि इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है कि चंदा रिश्वत का जरिया भी बन सकता है, जिससे सरकारी नीतियां प्रभावित हो रही हैं इससे पहले सीजी ने साफ किया था कि पैसे भले ही अलग-अलग हो लेकिन पूरी बेंच का निष्कर्ष एक ही है। कोर्ट में इस पर भी विचार किया है कि क्या दानकर्ता की जानकारी सूचना के अधिकार के तहत आती है। कोर्ट ने कोऑपरेटिव कंपनी पर इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा देने की निर्धारित सीमा को हटाने पर भी विचार किया है। Electoral Bond

कौन–कौन शामिल है बेंच में | Electoral Bond

चुनावी बांड पर फैसला सुनाने वाली चीफ जस्टिस की बेंच में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पादरीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे। पीठ ने चुनावी बॉन्ड पर सर्वसम्मति से फैसला सुनाया है। हालांकि पीठ में दो अलग विचार रहे, लेकिन पीठ में सर्व सम्मति से चुनावी बांड पर रोक लगाने का फैसला लिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में एसबीआई बैंक को 2019 से अब तक चुनावी बांड की पूरी जानकारी देने के आदेश दिए हैं। भारत के मुख्य न्यायाधीश डी बाय चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्य संविधान पीठ में पिछले साल 2 नवंबर को मामले में फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे आज सुनाया गया है। Electoral Bond

केंद्र सरकार ने 2018 में चुनावी बॉन्ड योजना की शुरुआत की थी। इसे राजनीतिक दलों को मिलने वाली फंडिंग में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के तहत पेश किया गया था। इसे राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले नकद चंदे के विकल्प के रूप में देखा गया था। चुनावी बॉन्ड स्टेट बैंक की 29 शाखाओं में मिलता था। इसके जरिए कोई भी नागरिक, कंपनी या संस्था किसी पार्टी को चंदा दे सकती थी। ये बॉन्ड 1000, 10 हजार, 1 लाख और 1 करोड़ रुपए तक के हो सकते थे। खास बात ये है कि बॉन्ड में चंदा देने वाले को अपना नाम नहीं लिखना पड़ता। Electoral Bond

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Rupa Rani
Rupa Rani

Rupa Kumari is a young journalist with 5 years of experience in digital media in Uttarakhand. Currently, she is associated with TII, where she covers Uttarakhand politics as well as lifestyle, sports, and national and international news.