AI Mission in Uttarakhand: सीएम धामी द्वारा सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस बनाने की घोषणा, AI को मिलेगा राज्य में बढ़ावा

AI Mission in Uttarakhand

मुख्यमंत्री धामी द्वारा एआई पर आधारित सेमिनार में एआई मिशन को सफल (AI Mission in Uttarakhand) बनाने के लिए सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस बनाने की घोषणा की गई है। सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस बनाने की घोषणा (AI Mission in Uttarakhand) उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, कृषि, पर्यटन, स्वास्थ्य और शिक्षा को नई ऊंचाई पर ले जाने की घोषणा की गई है। मुख्यमंत्री आवास में कल एआई पर आधारित सेमिनार में मुख्यमंत्री धामी द्वारा एआई मिशन को सफल बनाने के लिए सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस बनाने की घोषणा की गई। मुख्यमंत्री धामी द्वारा कहा गया कि एआई के सहयोग से राज्य को आगे बढ़ाने के लिए सभी को एकजुट होना होगा। आपको बता दे एआई टेक्नोलॉजी के द्वारा इकोलॉजी, इकोनामी, टेक्नोलॉजी, अकाउंटेबिलिटी और सतत विकास में काफी विकास होने जा रहा है। साइंस टेक्नोलॉजी और एआई का तैयार रोड मैप (AI Mission in Uttarakhand) मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी का साइंस टेक्नोलॉजी और एआई पर खास ध्यान है। जिसके चलते उत्तराखंड में साइंस टेक्नोलॉजी और एआई का रोड मैप तैयार किया गया है। राज्य में आपदा और क्लाइमेट चेंज को समझने में एआई की मदद से कार्य किया जा सकता है। साथ ही कृषि, पर्यटन, स्वास्थ्य, शिक्षा और कई अन्य क्षेत्र में भी आई के उपयोग से सफलता की संभावनाओं को बढ़ाया जाएगा। AI Mission in Uttarakhand यह भी पढ़ें गढ़वाली फिल्म ‘रिखुली’ हुई अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल के लिए नॉमिनेट, पुरानी मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित….

Uttarakhand Youth: 10 हजार से ज्यादा पहाड़ी क्षेत्र के युवाओं को सिखाई जाएगी नई टेक्नोलॉजी, यह कोर्स होंगे शामिल…….

Uttarakhand Youth

पहाड़ी क्षेत्रों में अब कॉलेज के छात्रों को (Uttarakhand Youth) डिजिटल मार्केटिंग, ड्रोन टेक्नोलॉजी और साइबर सिक्योरिटी सिखाई जाएगी। 10,000 से ज्यादा युवाओं को बनाया जाएगा इन सभी तकनीक में पारंगत। कॉलेज में ही पढ़ाए जाएंगे शॉर्ट टर्म कोर्स (Uttarakhand Youth) आपको बता दे उत्तराखंड में आईटीडीए के कैल्क कंप्यूटर केंद्र पूरे राज्य भर में हैं। आईटीडीए और बहुत से सरकारी डिग्री कॉलेज के माध्यम से यह शॉर्ट टर्म कोर्स युवाओं को कराया जाएगा। जानकारी के अनुसार पर्वतीय जिलों के कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों को अब डिजिटल मार्केटिंग, ड्रोन टेक्नोलॉजी और साइबर सिक्योरिटी जैसी तकनीक सिखाई जाएंगी।उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों पर आईटीडीए द्वारा तैयारी की जा रही है, जिससे 10 हजार युवाओं को तकनीक में पारंगत बनाया जाएगा। पहाड़ी छात्रों को नहीं जाना पड़ेगा बड़े शहर (Uttarakhand Youth) हमेशा से देखा गया है कि शहरी इलाकों में युवाओं के पास कई अत्याधुनिक कोर्स करने के लिए अच्छी संस्थान उपलब्ध होती हैं मगर पर्वतीय जिलों में इसकी काफी कमी है। जिसके चलते अब सरकार द्वारा पर्वतीय इलाकों के ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन वाले सभी छात्रों के लिए यह योजना लेकर आए हैं। जल्द ही उच्च शिक्षा विभाग के साथ भी एमओयू किया जाएगा। इन शॉर्ट टर्म कोर्स के कराए जाने से पहाड़ी क्षेत्र वाले छात्रों को कहीं बड़े शहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। कॉलेज के दौरान ही उन सभी को आईटी विशेषज्ञ द्वारा कोर्स कराए जाएंगे। इन कोर्स को करने का समय भी अलग-अलग प्रकार से होगा जैसे 150 से 400 घंटे तक। आपको बता दे कि इन कोर्स को करने वाले छात्रों की सिर्फ किताबी जानकारी ही नहीं बल्कि प्रैक्टिकल जानकारी भी अच्छी होगी। जैसे कि अगर किसी छात्र को ड्रोन तकनीक का कोर्स करना है तो उसे ड्रोन के माध्यम से ही कोर्स सिखाया जाएगा। Uttarakhand Youth जानिए कौन से कोर्स कराए जाएंगे (Uttarakhand Youth) यह भी पढ़ें बम– बम भोले के जयकारों से गूंज उठा केदारनाथ धाम, 19 अगस्त को समाप्त होंगे सावन

Meta AI In Whatsapp : क्या है व्हाट्सएप में जोड़ा गया मेटा ऐप, 8 चरणों में जानें कैसे करें इस्तेमाल, क्या साबित होगा एआई, वरदान या श्राप

Meta AI In Whatsapp

तकनीक के इस सदी में नए-नए तकनीक के सामने आ रही है। AI (Meta AI In Whatsapp) की तरह अब मेटा ने भी एक और बड़ा कदम उठाते हुए अपने सभी प्लेटफार्म पर Llama–3 नाम का एक चैट बॉक्स फीचर जोड़ा किया है। बेटा के सभी प्लेटफार्म के साथ इंस्टेंट मैसेजिंग एप व्हाट्सएप पर भी यह फीचर यूजर्स को मिल रहा है। यह फीचर मशीन लर्निंग एल्गोरिथम पर आधारित है जो यूजर्स के पूछे गए सवालों और दूसरी जिज्ञाओं का जवाब देता है। व्हाट्सएप, जो मेटा (पूर्व में फेसबुक) का हिस्सा है, अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के नए युग में प्रवेश कर रहा है। मेटा एआई की तकनीकें व्हाट्सएप के उपयोगकर्ताओं को और अधिक सशक्त बनाने के लिए तैयार हैं। इस लेख में, हम व्हाट्सएप में मेटा एआई के योगदान और इसके प्रभावों पर चर्चा करेंगे। मेटा एआई का महत्व | Meta AI In Whatsapp मेटा एआई उपयोगकर्ता अनुभव को बेहतर बनाने के लिए डिज़ाइन की गई अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग करता है। इसमें मशीन लर्निंग, नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (NLP) और कंप्यूटर विज़न शामिल हैं, जो चैट और कॉल अनुभव को अधिक प्रभावी और उपयोगकर्ता-मित्र बनाते हैं। व्हाट्सएप में मेटा एआई के उपयोग | Meta AI In Whatsapp मेटा एआई के लाभ | Meta AI In Whatsapp चुनौतियाँ और समाधान | Meta AI In Whatsapp WhatsApp पर मौजूद मेटा AI को कैसे करें इस्तेमाल | Meta AI In Whatsapp व्हाट्सएप में मेटा एआई का एकीकरण संवाद और संचार के भविष्य को आकार दे रहा है। इसके उपयोग से चैट और कॉल अनुभव अधिक स्मार्ट, सुरक्षित और उपयोगकर्ता-मित्र बनते जा रहे हैं। मेटा एआई की यह तकनीकी क्रांति हमें एक नए युग में ले जा रही है, जहां संचार की सीमाएं समाप्त हो रही हैं और उपयोगकर्ताओं को एक नए, अधिक प्रभावी संवाद का अनुभव हो रहा है। Meta AI In Whatsapp यह भी पढ़े | देवभूमि में बढ़ते साइबर ठगी के मामले, शहीद परिवार से 2 लाख की ठगी का मामला आया सामने, 5 आरोपी हुए गिरफ्तार

Cyber Crime Using AI : साइबर ठगों से रहें सावधान, दून में पसार रहे पैर, रोजाना 58 लोग हो रहे शिकार, AI का इस्तेमाल कर ठग रहे लाखों

Cyber Crime Using AI

उत्तराखंड (Cyber Crime Using AI ) में साइबर ठगो के लगातार नए-नए मामले सामने आ रहे हैं कोई नौकरी तो कोई ऑनलाइन सामान की खरीद फरोद के नाम पर देहरादून वासियों के खून पसीने की कमाई लूट रहे है। उत्तराखंड में लगातार बढ़ते साइबर ठाकुर के मामलों ने उत्तराखंड पुलिस के अंतर्गत गठित की गई एसटीएफ स्पेशल टास्क फोर्स की चुनौतियां बढ़ा दी है। साइबर ठग लगातार लोगों को ठगने के नए-नए तरीके ढूंढते रहते हैं तो वहीं अब साइबर ठग ने एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सहारा लेकर लोगों को ठगने का काम शुरू कर दिया है। साइबर ठग अब आई का इस्तेमाल कर आवाज बदल कर लोगों को ठगने की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं जो पुलिस प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। पिछले 6 महीना के आंकड़ों पर नजर डालें तो साइबर ठाकुर ने रोजाना 58 लोगों को ठगी का शिकार बनाया है। Cyber Crime Using AI पिछले छह माह में इस प्रकार हुई साइबर ठगी | Cyber Crime Using AI पैसों से जुड़ी धोखाधड़ी के लिए पुलिस के द्वारा जारी किए गए हेल्पलाइन नंबर 1930 के आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर 2023 से मार्च 2024 यानी 6 महीना में 10600 साइबर ठेके के नए मामले सामने आए हैं इस दौरान ठगों ने 46 करोड रुपए की ठगी की है जिसमें से साइबर थाना पुलिस ने 4:15 करोड रुपए की धनराशि खातों में होल्ड करवाइ है। Cyber Crime Using AI बीते वर्ष के मुकाबले साल 2024 में साइबर्ट होगी घटनाओं ने रफ्तार पकड़ी है। अक्टूबर 2023 दिसंबर 2023 के बीच 3 महीना में साइबर ठाकुर की 544 घटनाएं सामने आई थी, जो कि साल 2024 की जनवरी से मार्च के बीच तीन महीना में यह मामले बढ़कर 5556 हो गए हैं। अकेले मार्च में ही 1748 लोगों के साथ 12 करोड रुपए की ठगी की गई है। साइबर ठग इस प्रकार बना रहे लोगों को अपना शिकार | Cyber Crime Using AI जनता को साइबर ठग से सतर्क रहने की अपील करते हुए एसटीएफ एसपी आयुष अग्रवाल ने कहा कि ऑनलाइन जॉब और ट्रेडिंग के लिए किसी भी फर्जी वेबसाइट, मोबाइल नंबर, लिंक का इस्तेमाल न करें। किसी भी प्रकार के ऑनलाइन जॉब के लिए आवेदन करने से पहले उसे वेबसाइट का पूर्ण सत्यापन स्थानीय बैंक संबंधित कंपनी से इसकी जांच अवश्य करें। गूगल से किसी भी कस्टमर केयर नंबर सर्च ना करें। यदि कोई व्यक्ति खुद को परिचित बढ़कर रुपए मांगता है तो जरूर इसकी जांच करें। संदेह होने पर तुरंत निकटतम पुलिस स्टेशन या साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन से संपर्क करें। वित्तीय साइबर अपराध घटित होने पर तत्काल 19 दिसंबर पर कॉल करें। Cyber Crime Using AI यह भी पढ़े | AI Genetic test detects Postpartum Depression risk before symptoms show, impact of therapy on Gene Expression explored by Brock Researcher

नया AI टूल सटीकता के साथ अगले COVID वेरिएंट वेव की भविष्यवाणी करता है

नया AI टूल अभूतपूर्व सटीकता के साथ अगले COVID वेरिएंट वेव की भविष्यवाणी करता है शोधकर्ताओं ने एक एआई मॉडल विकसित किया है जो भविष्यवाणी कर सकता है कि कौन से SARS-CoV-2 वेरिएंट से संक्रमण की नई लहरें पैदा होने की संभावना है। यह मॉडल 30 विभिन्न देशों से एकत्र किए गए वायरस के 9 मिलियन आनुवंशिक अनुक्रमों के विशाल डेटासेट के विश्लेषण के आधार पर बनाया गया था। शोधकर्ताओं ने अपने विश्लेषण में विभिन्न कारकों जैसे टीकाकरण दर, संक्रमण दर और विभिन्न संक्रमणों के प्रारंभिक प्रक्षेपवक्र पर विचार किया। पीएनएएस नेक्सस में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, एआई मॉडल प्रत्येक देश में 72.8% वेरिएंट का पता लगाने में सक्षम है जिससे तीन महीने के भीतर प्रति मिलियन लोगों पर कम से कम 1,000 मामले सामने आएंगे। वैरिएंट का पता चलने के बाद दो सप्ताह के अवलोकन के बाद यह पूर्वानुमानित प्रदर्शन बढ़कर 80.1% हो जाता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि वैरिएंट संक्रमण के शुरुआती प्रक्षेपवक्र, स्पाइक म्यूटेशन, और प्रमुख वैरिएंट की तुलना में उत्परिवर्तन में अंतर एक वैरिएंट की संक्रामकता के मजबूत भविष्यवक्ता थे। विश्लेषण में टीकाकरण और संक्रमण दर को एकीकृत करके, एआई मॉडल भविष्य में वायरल प्रसार का संकेत देने वाले पैटर्न की पहचान करने में सक्षम था। इस मॉडलिंग दृष्टिकोण को केवल कोविड-19 ही नहीं, बल्कि अन्य संक्रामक रोगों के भविष्य के पाठ्यक्रम की भविष्यवाणी करने के लिए लागू करने की क्षमता है। यह हमें संसाधनों को आवंटित करने और समय पर हस्तक्षेप लागू करने की अनुमति देकर भविष्य के प्रकोपों ​​के प्रति हमारी प्रतिक्रिया और प्रबंधन में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। इस शोध का महत्व सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों को सीओवीआईडी-19 मामलों में संभावित उछाल की पहचान करने और तैयारी करने में आगे रहने में मदद करने की क्षमता में निहित है। यह अनुमान लगाकर कि कौन से वेरिएंट के फैलने की सबसे अधिक संभावना है, हम प्रसार को कम करने और कमजोर आबादी की रक्षा के लिए सक्रिय उपाय कर सकते हैं। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह एआई मॉडल बड़ी मात्रा में आनुवंशिक डेटा के विश्लेषण पर आधारित था, और इसकी पूर्वानुमान सटीकता काफी प्रभावशाली है। हालाँकि, यह एक आदर्श प्रणाली नहीं है, और संक्रामक रोगों के भविष्य के पाठ्यक्रम की भविष्यवाणी करने में हमेशा कुछ स्तर की अनिश्चितता रहेगी। फिर भी, यह विकास वायरल विकास की हमारी समझ में एक महत्वपूर्ण कदम है और यह बीमारियों के प्रसार को कैसे प्रभावित करता है। आगे के शोध और शोधन के साथ, यह एआई मॉडल संक्रामक रोगों के खिलाफ हमारी चल रही लड़ाई में एक मूल्यवान उपकरण साबित हो सकता है।