देश छोड़ भागने का प्लान हुआ फेल, पुलिस ने किया दुष्कर्म के आरोपी को…..

Rape Accused Try To Fly Nepal

Rape Accused Try To Fly Nepal: दुष्कर्म का आरोपी नैनीताल दुग्ध संघ के अध्यक्ष मुकेश बोरा ने गिरफ्तारी से बचने के लिए नेपाल भागने का प्रयास किया, लेकिन उसकी योजना कामयाब नहीं हो पाई। वह अल्मोड़ा से किराए की टैक्सी लेकर किच्छा पहुंचा, जहां टैक्सी चालक ने उसे पहचान लिया और पुलिस को सूचना दी। इस जानकारी के बाद, मुकेश बोरा टैक्सी छोड़कर फरार हो गया। गिरफ्तारी से बचने की योजना मुकेश बोरा ने गिरफ्तारी से बचने के लिए नेपाल भागने का प्लान बनाया। उसने हाईकोर्ट में गिरफ्तारी पर रोक लगाने के लिए याचिका दायर की थी, लेकिन कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी। बोरा अल्मोड़ा से टैक्सी के जरिए किच्छा पहुंचा। जब टैक्सी चालक को उसकी पहचान हुई, तो उसने तुरंत पुलिस को सूचित किया। पुलिस की सक्रियता पर सवाल यह सवाल उठ रहा है कि 24 घंटे से अधिक समय तक बोरा पर नजर रखने वाली पुलिस को कैसे पता नहीं चला कि वह देश छोड़ने की योजना बना रहा था। बोरा को मंगलवार को अल्मोड़ा थाने में पेश होना था, लेकिन वह नहीं पहुंचा। उसके बाद से उसका फोन बंद आ रहा है। पुलिस ने उसके करीबियों से पूछताछ की, लेकिन वह पकड़ में नहीं आया। पुलिस अब उसकी गिरफ्तारी के लिए संभावित ठिकानों पर दबिश दे रही है और उसकी खोज जारी है। यह भी पढ़े | मां नंदा– सुनंदा महोत्सव की चारों तरफ धूम, उमड़ रहे हजारों भक्त, 8 सितम्बर से……

Regular Police Uttarakhand : रेगुलर पुलिस व्यवस्था पर हाई कोर्ट ने दिए निर्देश, 1 साल के भीतर हो लागू

Regular Police Uttarakhand

उत्तराखंड (Regular Police Uttarakhand) में रेगुलर पुलिस व्यवस्था को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है, जिस पर हाईकोर्ट ने आदेश देते हुए कहा है कि राज्य में राजस्व पुलिस व्यवस्था को समाप्त किया जाए और 1 साल के अंदर ही राज्य में रेगुलर पुलिस व्यवस्था लागू की जाए। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को 1 साल के अंदर रिपोर्ट पेश करने के भी आदेश दिए हैं। हाई कोर्ट के द्वारा राजस्व पुलिस व्यवस्था समाप्त करने को लेकर दायर याचिका का निस्तारण करते हुए 1 साल के अंदर उत्तराखंड में रेगुलर पुलिस की व्यवस्था लागू कर उसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए। कई क्षेत्रों में की गई रेगुलर पुलिस की व्यवस्था | Regular Police Uttarakhand हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने प्रदेश में कई स्थानों पर राजस्व पुलिस व्यवस्था के स्थान पर रेगुलर पुलिस की व्यवस्था लागू कर दी गई है। जबकि बाकी के क्षेत्रों में रेगुलर पुलिस व्यवस्था को लागू करने के लिए प्रकिया अभी जारी है। बता दें कि साल 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने भी नवीन चंद्र बनाम राज्य सरकार से संबंधित मामले में उत्तराखंड में राजस्व पुलिस व्यवस्था को खत्म करने की जरूरत महसूस की थी। सभी नागरिकों के लिए समान कानून व्यवस्था हो लागू | Regular Police Uttarakhand नवीन चंद्र बनाम राज्य सरकार से संबंधित मामले में कहा गया था कि राजस्व पुलिस को सिविल पुलिस की तरह ट्रेनिंग नहीं दी जाती है। ना ही राजस्व पुलिस के पास आधुनिक सुविधाएं डीएनए टेस्ट, ब्लड टेस्ट, फोरेंसिक जांच, फिंगर प्रिंट जैसी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होती हैं। जिस कारण राजस्व पुलिस अपराधों की विवेचना करने में परेशानियां होती हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा था कि प्रदेश में सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून व्यवस्था लागू की जानी चाहिए। बता दें कि साल 2018 में हाईकोर्ट ने भी राज्य सरकार को राजस्व पुलिस व्यवस्था को लेकर निर्देश दिए थे। लेकिन हाईकोर्ट के आदेश का पूरी तरह से अनुपालन नहीं किया गया। जिसके बाद जनहित याचिका दायर कर कोर्ट में ये अनुरोध किया गया कि पूर्व में दिए गए आदेश का अनुपालन कराया जाए। Regular Police Uttarakhand यह भी पढ़े | नैनीताल से हल्द्वानी शिफ्ट होगा हाई कोर्ट, 1 साल तक आसपास की जमीन खरीदने-बेचने पर रोक | Nainital High Court Will Shift to Haldwani

Dehradun Bar Association : आज गढ़वाल के सभी बार एसोशिएशन पहुंचेंगे देहरादून, अधिवक्ता देंगे अपना जनमत

Dehradun Bar Association

गढ़वाल मंडल (Dehradun Bar Association) के सभी बार एसोसिएशन के पदाधिकारी हाई कोर्ट की बेंच आईडीपीएल में स्थापित होगी या इसके लिए कहीं और उपयुक्त जगह है, इस पर जनमत लेने के लिए शुक्रवार यानी 10 मई को देहरादून में एकत्रित होने जा रहे हैं। जनमत में भाग लेने के लिए बार एसोसिएशन ऑफ़ उत्तराखंड के 20 में से 13 सदस्य देहरादून पहुंच रहे हैं। देहरादून में बार एसोसिएशन की जानकारी देहरादून बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव शर्मा बंटू ने दी। उन्होंने कहा हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के विरोध के बाद हाई कोर्ट चीफ जस्टिस ने मौखिक आदेश को जनमत के आधार पर सहमति देने का फैसला किया है। क्या है पूरा मामला | Dehradun Bar Association दरअसल हाई कोर्ट ने बुधवार को मौखिक आदेश पारित किया था कि हाई कोर्ट के एक बेंच आईडीपीएल ऋषिकेश में स्थापित की जाएगी यह फैसला आते ही हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अधिवेशन में विरोध करना शुरू कर दिया था इसी कारण हाई कोर्ट में फैसले पर होल्ड लगा दिया है। हाई कोर्ट का कहना है कि आईडीपीएल हाई कोर्ट की बेंच के लिए उपयुक्त जगह है लेकिन बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं के विरोध के बाद अब उन्होंने इसे जनमत पर छोड़ दिया है। देहरादून बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव शर्मा बंटू ने बताया कि हाई कोर्ट ने कहा है कि आईडीपीएल के अलावा और कौन से उपयुक्त जगह है, इसके लिए जनमत सबसे अच्छा तरीका है। ऐसे में अगर बात जन्नत की है तो अधिवक्ताओं का जनमत वादकारियों के हितों में रक्षा के लिए वादकारियों को सुलभ और सस्ता न्याय आईडीपीएल में बैंच स्थापित होने से ही मिल सकता है। Dehradun Bar Association इसके लिए गढ़वाल की बार एसोसिएशन लंबे समय से मांग कर रही है हाई कोर्ट नैनीताल से शिफ्ट हो सके इसके लिए तो हाई कोर्ट बार एसोसिएशन भी मांग कर रही है सरकार ने हल्द्वानी की गौलापार में हाई कोर्ट के लिए जमीन भी है। लेकिन यहां पर पेड़ काटकर भवन बनाया जाना है इसके पक्ष में हाई कोर्ट भी नहीं है जिसको देखते हुए अभी तक की प्रस्ताव के आधार पर आईडीपीएल ऋषिकेश से उपयोग जगह नहीं है साथ ही उन्होंने कहा की जन्म में गढ़वाल के सभी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष शामिल रहेंगे। Dehradun Bar Association यह भी पढ़े | आउटसोर्स कर्मचारी के लिए खुशखबरी, हाईकोर्ट ने हटाई नौकरी पर लटकी तलवार | Good News For Outsourced Employees

Transfer Of Uttarakhand Judges : बड़ी संख्या में फिर हुए राज्य में तबादले, 23 अप्रैल को जारी किया गया नोटिस, जिला एवं सत्र न्यायाधीशों को किया गया इधर उधर

Transfer Of Uttarakhand Judges

उत्तराखंड (Transfer Of Uttarakhand Judges) नैनीताल हाई कोर्ट ने मंगलवार 23 अप्रैल को नोटिस जारी कर जजों के तबादले की सूची जारी की है जिसमें कहकशा खान को उत्तराखंड हाई कोर्ट का रजिस्ट्री विजिलेंस बनाया गया है जिसके साथ ही कई जिलों में जिला एवं सत्र न्यायाधीशों के भी तबादले किए गए हैं। नैनीताल हाई कोर्ट के द्वारा जारी की गई तब बादलों की सूची में जिला एवं सेशन जज हरिद्वार स्कंद कुमार त्यागी को जिला एवं सेशन उधम सिंह नगर बनाया गया है तो वही प्रिसिडिंग ऑफिसर फूड सेफ्टी अपील ट्रिब्यूनल हल्द्वानी के प्रशांत जोशी को जिला एवं सत्र न्यायाधीश हरिद्वार, प्रेम सिंह की माल जिला एवं सत्र न्यायाधीश उधम सिंह नगर को जिला एवं सत्र न्यायाधीश देहरादून बनाया गया है। जाने किस जज का कहां हुआ तबादला | Transfer Of Uttarakhand Judges कहकशा खान जिला एवं सत्र न्यायाधीश चंपावत को हाईकोर्ट का रजिस्ट्रार विजिलेंस हाईकोर्ट, अटैचमेंट पर चल रहे अनुज कुमार संगल को जिला एवं सत्र न्यायाधीश चंपावत बनाया गया है। जज फैमली कोर्ट हरिद्वार मनीश मिश्रा को प्रथम एडिशनल जिला एवं सेशन जज देहरादून, प्रथम एडिशनल जिला एवं सेशन जज देहरादून मनोज गर्ब्याल को हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार ज्यूडीशियल, प्रथम एडिश्नल जिला एवं सेशन जज काशीपुर विनोद कुमार को एडिशनल जिला एवं सेशन जज कर्णप्रयाग बनाया गया है Transfer Of Uttarakhand Judges अनिता गुंज्याल सिविल जज सीनियर डिविजन कोटद्वार का स्थानांतरण कर उन्हें चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट ऊधमसिंह नगर बनाया गया है। लक्ष्मण सिंह चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट देहरादून को चीफ ज्यूडिशियल पौड़ी गढ़वाल, धीरेंद्र भट्ट एडिशनल फैमली जज देहरादून को एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट हल्द्वानी बनाया गया है। संदीप कुमार ज्वाइंट डायरेक्टर उत्तराखंड ज्यूडिशियल एंड लीगल एकेडमी भवाली को सिविल जज सीनियर डिविजन हरिद्वार बनाया गया है। मौहम्मद यूसूफ चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट ऊधमसिंह नगर को ज्वाइंट डायरेक्टर उत्तराखंड ज्यूडिशियल एंड लीगल एकेडमी भवाली जिला नैनीताल, योगेन्द्र कुमार सागर ज्वाइंट रजिस्ट्रार उत्तराखंड पब्लिक सर्विस ट्रिब्यूनल देहरादून को चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट चमोली, हेमंत सिंह सिविल जज सीनियर डिविजन चंपावत को सिविल जज सीनियर डिविजन ऊधमसिंह नगर बनाया गया है। Transfer Of Uttarakhand Judges विनोद कुमार बरमन चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट टिहरी गढ़वाल को सिविल जज सीनियर डिविजन ऋषिकेश, शहजाद अहमद वाहिद सिविल जज सीनियर डिविजन हरिद्वार को प्रथम एडिशिनल सिविल जज सीनियर डिविजन हरिद्वार, मौहम्मद याकूब चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट पौडी गढ़वाल को सिविल जज सीनियर डिविजन टिहरी गढ़वाल, विभा यादव सेक्रेट्री जिला लीगल सर्विस अथोरिटी पिथौरागढ़ प्रिसिपल मजिस्ट्रेट प्रथम क्लास ज्यूविनाइल जस्टिस बोर्ड हरिद्वार, इंदू शर्मा द्वितीय एडिशनल सिविल जज सीनियर डिविजन देहरादून को प्रथम एडिशनल सिविल जज सीनियर डिविजन ऊधमसिंह नगर बनाया गया है। Transfer Of Uttarakhand Judges मनोज कुमार द्विवेदी एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट हल्द्वानी जिला नैनीताल को सिविल जज सीनियर डिविजन कोटद्वार, निहारिका मित्तल गुप्ता प्रथम एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट देहरादून को चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट चंपावत, हर्ष यादव सेक्रेट्री जिला लीगल सर्विस अथॉरिटी देहरादून को सिविल जज सीनियर डिविजन नैनीताल, श्वेता पांडे सिविल जज सीनियर डिविजन ऊधमसिंह नगर को द्वितीय एडिशनल सिविल जज सिनियर डिविजन ऊधमसिंह नगर, अविनाश कुमार श्रीवास्तव सिविल जज सीनियर डिविजन टिहरी गढ़वाल को चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट हरिद्वार , सचिन कुमार चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट चमोली को एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट काशीपुर ऊधमसिंह नगर, ललिता सिंह एडिशनल जज फैमली कोर्ट ऋषिकेश को सिविल जज सीनियर डिविजन लक्सर जिला हरिद्वार बनाया गया है। Transfer Of Uttarakhand Judges संजीव कुमार चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट उत्तरकाशी को चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट देहरादून, संदीप सिंह भंडारी द्वितीय एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट देहरादून को प्रथम एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट देहरादून, नेहा कुशवाहा सिविल जज सिनियर डिविजन उत्तरकाशी को चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट नैनीताल, अनीता कुमारी तृतीय एडिशनल सिविल जज सीनियर डिविजन देहरादून को प्रथम एडिशनल सिविल जज सीनियर डिविजन देहरादून, अशोक कुमार ज्वाइंट सेक्रेट्री लॉ गर्वमेंट आफ उत्तराखंड देहरादून को चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट रूद्रप्रयाग, रश्मि गोयल द्वितीय एडिशनल सिविल जज सीनियर डिविजन ऊधमसिंह नगर को एडिशनल सिविल जज सीनियर डिविजन ऊधमसिंह नगर बनाया गया है। Transfer Of Uttarakhand Judges यह भी पढ़े | उत्तराखंड शासन में हुई बड़ी फेर बदल, 5 आईएएस अफसरों समेत 6 अफसरों के हुए तबादले | IAS Officer’s Transfer in Uttarakhand

उत्तराखंड हाई कोर्ट को मिली नई चीफ जस्टिस, राष्ट्रपति मुर्मु ने किया नियुक्त | Uttarakhand High Court Chief Justice

Uttarakhand High Court Chief Justice

उत्तराखंड (Uttarakhand High Court Chief Justice) हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस के पद पर हरियाणा की हाई कोर्ट की न्यायमूर्ति ऋतु बाहरी को नियुक्त किया गया है। आपको बता देंगे उत्तराखंड शासन के सर्वोच्च प्रशासनिक अधिकारी मुख्य सचिव भी एक महिला है और अब उत्तराखंड के हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस भी का पदभार भी एक महिला ही संभालने जा रही है। यही नही यूसीसी ड्राफ्ट तैयार करने वाली समिति की अगुवाई भी एक महिला के द्वारा ही की गई थी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया नियुक्त | Uttarakhand High Court Chief Justice उत्तराखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के पद पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के द्वारा हरियाणा की हाई कोर्ट की न्यायमूर्ति रितु बाहरी किया गया है। रितु बाहरी से पहले उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के पद पर विपिन साध्वी तैनात थे जो कि पिछले अक्टूबर में सेवानिवृत हुए हैं।उनके स्थान पर न्यायमूर्ति मनोज तिवारी कार्यवाहक चीफ जस्टिस का कार्यभार संभाल रहे थे। उत्तराखंड हाई कोर्ट चीफ जस्टिस का पदभार संभालने से पहले न्यायमूर्ति ऋतु बाहरी 2010 से हरियाणा उच्च न्यायालय में न्यायधीश थी। ऋतु बाहरी उत्तराखंड हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस नियुक्त किए जाने से पूर्व हरियाणा पंजाब उच्च न्यायालय की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रही है। 2 फरवरी को विशेषज्ञ समिति के द्वारा सीएम धामी को यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट सोपा गया है इस कोड में इस ड्राफ्ट में महिलाओं को पुरुषों के बराबर समान अधिकार दिए जाने पर जोर दिया गया है। Uttarakhand High Court Chief Justice यह भी पढ़े | उत्तराखंड के 5 जिलों में बर्फबारी का जारी अलर्ट, 5 फरवरी तक मौसम बदलेगा करवट

हाई कोर्ट ने उत्तराखंड की खनन नीति में किया बदलाव, जाने आदेश के बाद क्या मिलेगी सुविधा | Change In Mining Policy Uttarakhand

Mining Policy Uttarakhand

अब राज्य (Mining Policy Uttarakhand) में मशीनों से भी नदियों की सफाई का प्रावधान बनाया जा रहा है। प्रदेश सरकार अब खाना नीति में बदलाव करने जा रही है। आपको बता दे कि कुछ समय पहले सरकार को नदियों में मशीनों से सफाई को लेकर नैनीताल हाई कोर्ट ने अनुमति दी थी। इसके बाद अब सरकार नीति में खनन क्षेत्र को फिर से परिभाषित करने की तैयारी में है। खनन राज्य के सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले विभागों में से एक है। खनन (Mining Policy Uttarakhand) की मदद से हर साल राज्य को 500 करोड रुपए से ज्यादा का राजस्व मिलता है। आपको बता दे की इस साल राज्य सरकार ने खनन से 875 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त करने का लक्ष्य तय किया है, लेकिन अभी विभाग इस लक्ष्य को हासिल करने से काफी दूर है। हाई कोर्ट ने दिए थे निर्देश | Mining Policy Uttarakhand गंगा को छोड़कर राज्य में सभी नदियों में वैज्ञानिक तरीके से खनन की अनुमति दी जा रही है। बीते वर्ष हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए नदियों में मशीनों के इस्तेमाल पर रोक लगाई थी। हाईकोर्ट में दायर में कहा गया था कि मशीनों से सफाई के बजाय खनन किया जा रहा है। नदियों से मशीनों की मदद से निर्धारित मात्रा से कई ज्यादा खुदाई की जा रही है, जिससे नदियों के स्वरूप पर असर पड़ रहा है। इस पर हाईकोर्ट ने सरकार को अवैध खनन रोकने के लिए पुख्ता योजना बनाने के निर्देश दिए थे। खनन नीति में हो सकता है बदलाव | Mining Policy Uttarakhand हाई कोर्ट ने सरकार के किए गए अनुरोध पर खनन के उपयोग में मशीनों के सशक्त इस्तेमाल की अनुमति दी थी। साथ ही हाईकोर्ट ने कहा था कि यह सुनिश्चित किया जाए की मशीनों का इस्तेमाल केवल सफाई कार्यो में ही किया जाए। विभाग के द्वारा अब इस बिंदु को नीति में शामिल करने की तैयारी की जा रही है। इसके साथ ही खनन के मानकों को भी सख्त किया जाएगा। इसका प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। जिसे जल्द ही कैबिनेट के सामने रखा जाएगा। यह भी पढ़े | रामभक्तों के लिए अच्छी खबर, 22 जनवरी को सार्वजनिक अवकास हो सकता है घोषित

आउटसोर्स कर्मचारी के लिए खुशखबरी, हाईकोर्ट ने हटाई नौकरी पर लटकी तलवार | Good News For Outsourced Employees

Good News For Outsourced Employees

वन विभाग (Outsourced Employees) में आउटसोर्स से नियुक्त किए गए करीब 1000 कर्मचारियों को नैनीताल हाई कोर्ट ने आज बड़ी राहत दी है। वन विभाग में 17 नवंबर 2023 को वर्षों से आउटसोर्स के तहत कार्यरत कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दी थी, अब कोर्ट में इन कर्मचारियों को हटाने के आदेश पर रोक लगाई है। नैनीताल हाई कोर्ट ने सरकार को इन कर्मचारियों के अब तक के मानदेय का भुगतान करने और उन्हें समय पर मानदेय देने के भी आदेश की है। हाई कोर्ट के अनुसार यह सरकार को तय करना होगा की मद से वेतन दिया जाए। न्यायाधीश न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित के एक एकलपीठ ने इस मामले में 6 हफ्ते में विस्तृत शपथ पत्र देने के निर्देश देते हुए अगली सुनवाई डेट फरवरी में जारी की है। 17 नवंबर को दायर की गई थी याचिका | Outsourced Employees वन विभाग में उपनल सहित अन्य आउटसोर्स एजेंसियो के द्वारा 2187 कर्मियों को नियुक्त किया गया था। 17 नवंबर को शासन ने अधिसूचना जारी कर विभाग का पुनर्गठन करने और 113 पदों का आउटसोर्स एजेंसी के द्वारा जाने का निर्देश दिया था। जिसके बाद इस फैसले के खिलाफ अल्मोड़ा के दिनेश परिहार और देहरादून के दिनेश चौहान के साथ अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता को सेवा से हटाना गलत | Outsourced Employees दायर की गई याचिका में याचिका करने वालों का कहना था कि उन पदों को भी दूसरी आउटसोर्स एजेंसी से भरने के निर्देश की एक दिए गए हैं जिन पदों पर वह सालों से कम कर रहे हैं। दूसरे लोगों को आउटसोर्स से नियुक्त कर उनको नौकरी से हटाना गलत है। इस मामले में कोर्ट ने प्रमुख वन संरक्षक और मुख्य वन संरक्षक का पक्ष भी सुना। वन विभाग की ओर से शासन के निर्णय का हवाला देते हुए कहा गया है कि यह कर्मचारी स्वीकृत पदों के सापेक्ष अधिक तैनात हैं। खाली पदों के सापेक्ष नियुक्ति की जानी चाहिए थी। यह भी पढ़े | 692 पदों पर भर्ती, UKPSC ने तैयार किया कोर्स, प्रस्ताव मंजूरी के लिए भेजा

प्राइमरी शिक्षक भर्ती में हुआ बदलाव, शिक्षक बनने के लिए अब बीएड डिग्री अमान्य, करना होगा यह कोर्स

उत्तराखंड हाई कोर्ट ने बीएड डिग्री धारकों को प्रार्थमिक शिक्षक भर्ती के लिए अयोग्य घोषित किया है। एनसीटीई के नोटिफिकेशन की वैधता को सुप्रीम कोर्ट के द्वारा रद्द किए जाने के बाद अब हाई कोर्ट ने भी इस पर अपना फैसला सुना दिया है। जिसके कारण उत्तराखंड के हाईकोर्ट ने भी प्रारंभिक शिक्षक भर्ती में शामिल होने जा रहे बीएड डिग्री धारकों को आयोग के ठहराया है। साल 2018 में विनिमय मल्ल के द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद की ओर से अधिसूचना को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ता का कहना था कि सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में की जा रही सहायक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने से उन बीएड डिग्री धारकों को रोका जाए जो अधिसूचना के चलते भर्ती प्रक्रिया में भाग ले रहे हैं। नैनीताल हाई कोर्ट ने प्राइमरी शिक्षक भर्ती के लेकर दिया यह फैसला |नैनीताल हाई कोर्ट ने एनसीटीई के नोटिफिकेशन की वैधता को सुप्रीम कोर्ट के द्वारा रद्द किए जाने के बाद नोटिफिकेशन के आधार पर उत्तराखंड में चल रही प्राथमिक शिक्षक भर्ती में शामिल हो रहे बीएड डिग्री धारकों को अयोग्य ठहराया है। आपको बता दे की 28 जून 2018 को विनिमय मल्ल के द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद की अधिसूचना को चुनौती दी थी। ब्रिज कोर्स करना होगा अनिवार्य |प्राइमरी शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को लेकर सरकार के द्वारा बीएड डिग्री धारकों को प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति के 2 साल के अंदर एनसीटीई से मान्यता प्राप्त प्रारंभिक शिक्षा में 6 महीने का ब्रिज कोर्स अनिवार्य रूप से करना होगा, जिसको लेकर सरकार की ओर से जानकारी दी गई के देवेश शर्मा बनाम भारत संघ और अन्य के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा अधिसूचना 28 जून 2018 को निरस्त कर दिया था।