हरेला ने किया सावन का स्वागत, गांव-गांव गूंजी प्रकृति की पूजा…

Uttarakhand Celebrates Harela : उत्तराखंड में आज हरेला पर्व धूमधाम से मनाया गया। लोग सुबह-सुबह उठकर पूजा की तैयारी में जुट गए। घरों में उगाए गए हरे अंकुरों (हरेला) को भगवान को चढ़ाया गया और फिर बड़ों ने बच्चों को आशीर्वाद देते हुए सिर पर हरेला रखा।

क्या है हरेला?

हरेला पर्व हर साल सावन महीने की शुरुआत में मनाया जाता है। यह पर्व हरियाली, खेती और प्रकृति से जुड़ा होता है। हरेला का मतलब होता है “हरियाली का आगमन”। लोग नौ दिन पहले गेहूं, जौ और धान के बीज मिट्टी में बोते हैं। जब ये अंकुरित हो जाते हैं, तो उन्हें ‘हरेला’ कहा जाता है।

आपको बता दें, हरेला पर्व का मकसद पेड़-पौधों से प्रेम और उनका संरक्षण है । इस दिन कई जगहों पर स्कूलों, कॉलेजों और गांवों में वृक्षारोपण अभियान भी चलाया जाता है ।

स्वास्थ्य और आयुर्वेद से संबंध

विशेषज्ञों का कहना है कि यह पर्व आयुर्वेद से भी जुड़ा है। वर्षा ऋतु में शरीर कमजोर होता है, ऐसे में हरे पत्तेदार भोजन और औषधीय पौधे शरीर को मजबूत बनाते हैं। इस दिन पारंपरिक पहाड़ी भोजन बनाया जाता है, जैसे मंडुए की रोटी, चेंच भाजी, और बिच्छू घास की चटनी।

लोकगीतों और परंपरा की छाया

इसके साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं और बच्चे पारंपरिक गीत गाते हुए हरेला मनाते हैं। मिट्टी से बने बैल, हल और अन्य कृषि उपकरणों की पूजा की जाती है। यह पर्व खेती-बाड़ी से जुड़ी हमारी संस्कृति को ज़िंदा रखता है।

मुख्यमंत्री ने दी शुभकामनाएं

हरेला के अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी क्षेत्रवासियों को शुभकामनाएं दीं।

Srishti
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