उत्तराखंड (Cyber Thugs Uttarakhand) में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, आम जनता के साथ ही पुलिस के लिए भी चुनौती बनती जा रही है। प्रदेश में AI के माध्यम से ठगी के मामले बढ़ते जा रहे हैं लेकिन पुलिस अभी ऐसे साइबर ठगों का पता लगाने में कामयाब नहीं हो पा रही है। आपको बता दें कि ज्यादातर मामलों में व्हाट्सएप से ही पीड़ितों को धमकाते हैं और मोटी धनराशि वसूलते हैं। उत्तराखंड में ज्यादातर वायरस क्लोनिंग और फर्जी वीडियो के मामले सामने आ रहे हैं। वॉइस क्लोनिंग में साइबर अपराधी किसी की भी आवाज क्लोन करके उसके परिजनों से बात करते हैं और उनके बेटे या रिश्तेदार के मुकदमों में फंसने की बात करके मोटी रकम ठगते हैं। Cyber Thugs Uttarakhand
ठगों की कॉल आने पर करें सत्यापन | Cyber Thugs Uttarakhand
राज्य में बढ़ते ठगी के मामले के बारे में बताते हुए एसटीएफ के एसएसपी आयुष अग्रवाल ने बताया कि साइबर ठग वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) से संपर्क करते हैं। ऐसे में उन्हें ट्रैक करना काफी कठिन है। किसी भी संदिग्ध कॉल या व्हाट्सएप से फोन आने पर सत्यापन जरूर करें कई लोग बिना सत्यापन के साइबर ठगों के खातों में मोटी रकम ट्रांसफर कर देते हैं। Cyber Thugs Uttarakhand
साइबर ठगी के लिए तैयार राज्य पुलिस प्रशासन | Cyber Thugs Uttarakhand
एडीजी अपराध एवं कानून व्यवस्था आप अंशुमान ने जानकारी देते हुए बताएं कि आई के माध्यम से ठगी कर रहे साइबर अपराधियों से निपटने के लिए उत्तराखंड पुलिस को तैयार किया जा रहा है जिसके चलते जल्द ही साइबर सेंटर आफ इंटेलिजेंस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड मशीन लर्निंग लब की स्थापना की जाएगी साइबर थाने को शासन को प्रस्ताव भेजने के लिए निर्देश दिए गए हैं। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ के पर्यवेक्षण में पुलिस उपाधीक्षक और तकनीक रूप से दक्ष कार्मिकों की अनुसंधान टीम का गठन किया जाएगा, जो की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डार्क वेब आदि पर शोध करेगी। Cyber Thugs Uttarakhand
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