RBI Repo Rate: रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में रेपो रेट को 0.25% (या 25 बेसिस प्वाइंट) कम करके 6.25% कर दिया है। यह निर्णय शुक्रवार को RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक के बाद लिया गया। इसका मतलब है कि अब बैंकों को RBI से सस्ते में पैसा मिलेगा, जिससे वे ग्राहकों को भी कम ब्याज दरों पर लोन दे पाएंगे। इससे विशेष रूप से कर्ज लेने वालों को फायदा होगा, क्योंकि होम लोन, कार लोन, और पर्सनल लोन की ईएमआई में कमी आएगी और उनका बोझ हल्का होगा।
रेपो रेट का महत्व
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर RBI बैंकों को लोन देता है। जब यह दर कम होती है, तो बैंकों के लिए RBI से सस्ते में पैसा उधार लेना आसान होता है और फिर बैंक इसे ग्राहकों को भी सस्ते ब्याज दरों पर देता है। इस तरह से, रेपो रेट में कमी का सीधा असर बैंक लोन की लागत और ईएमआई पर होता है, जिससे आम नागरिकों को राहत मिलती है।
इस फैसले से भारतीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा और खासकर मिडिल क्लास और कर्ज लेने वाले लोगों के लिए यह राहत का संदेश है।
रेपो रेट किया कम
रेपो रेट में यह कमी 5 साल बाद की गई है। पिछली बार 2020 में RBI ने रेपो रेट को 0.40% कम किया था। इसके बाद 2022 में RBI ने रेपो रेट को बढ़ाया था और आखिरी बार फरवरी 2023 में इसे 6.50% तक बढ़ाया गया था। अब इस नवीनतम कटौती के बाद रेपो रेट 6.25% हो गया है। इसके अलावा, RBI ने MSF (Marginal Standing Facility) को भी 6.75% से घटाकर 6.50% कर दिया है, जिससे बैंकों के लिए सस्ता लोन प्राप्त करना और भी आसान हो जाएगा।
इस बदलाव का प्रभाव न सिर्फ कर्जदारों पर पड़ेगा, बल्कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था में लिक्विडिटी भी बढ़ाएगा। रिजर्व बैंक ने 2026 के लिए महंगाई दर 4.8% और GDP ग्रोथ 6.70% का अनुमान भी व्यक्त किया है।

