केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defence Minister Reached In Patanjali) 6 जनवरी शनिवार को सुबह जॉली ग्रांट एयरपोर्ट पहुंचे। जहां कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल और सीएम धामी ने स्वागत किया। इस दौरान संगठन आत्मक विषयों पर भी चर्चा हुई। आपको बता दे कि केंद्रीय रक्षा मंत्री के साथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी स्वामी दर्शन आनंद गुरुकुल महावीर विश्वविद्यालय में गुरुकुलम और आचार्य कुलम के शिलान्यास समारोह में शामिल हुए।
पतंजलि गुरुकुलम की रखी नीव | Defence Minister Reached In Patanjali
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज हरिद्वार में पतंजलि गुरु कलम एवं और आचार्य कुलम शिलान्यास समारोह में शिरकत करने पहुंचे। जहां उन्होंने पतंजलि गुरुकुलम की आधारशिला रखी। इसके बाद उन्होंने संबोधन में कहा कि हमारे देश में जो सिख धर्म है, वह शिष्य शब्द से निर्मित है। भारत में कई सारे धर्म और संप्रदाय ऐसे हैं जो गुरबाणी के आधार पर ही कायम है। यदि भारतीय संस्कृति जीवित है और यह सनातन बनी हुई है तो इसे बनाए रखने के लिए इस देश के गुरुओं का सबसे बड़ा योगदान है।
संस्कृत भाषा के महत्व को गिनाया | Defence Minister Reached In Patanjali
संस्कृत भाषा का महत्व बताते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि संस्कृत वैज्ञानिक भाषा है। दुनिया के कोई विद्वानों ने प्रकृति और सृष्टि को समझने के लिए संस्कृत भाषा का ही अध्ययन किया है। उन्होंने कहा कि संस्कृत का अहम स्थान है। योग दर्शन भी महर्षि पतंजलि ने संस्कृत में ही लिखा था, साथ ही उन्होंने कहा कि महर्षि पतंजलि ने संस्कृत पढ़ने लिखने और बोलने वालों की कमी होती संख्या को देखकर चिंता जताई थी।
बाबा रामदेव को दी बधाई | Defence Minister Reached In Patanjali
इसके अलावा उन्होंने कहा कि योग गुरु बाबा रामदेव वेद और योग को सरलता से जनता तक पहुंचा रहे हैं। जिसके लिए वह बधाई के पात्र है। गुरु शिष्य परंपरा पर बोलते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि गुरुओं के नाम पर ही सनातन की पहचान है, सभी धर्म में मतभेद हो सकते हैं लेकिन गुरु को सभी ने अपनाया है।
संस्कृत भाषा के संरक्षण के दिशा में होंगे काम | Defence Minister Reached In Patanjali
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संस्कृत भाषा के संरक्षण पर जोर देते हुए कहा कि गुरुकुल परंपरा ने भारत को पूरे विश्व में स्थान दिलाया है। संस्कृत भाषा के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में काम किए जाएंगे, जिससे आने वाली पीढ़ी संस्कृति के महत्व को समझ सके इसमें देश के गुरुकुल महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।