Drug Rehabilitation Centre New Rules Implemented: देहरादून से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। जहां एक नशा मुक्ति केंद्र में 2 आरोपियों ने एक असहाय मरीज की चम्मच से गोदकर हत्या कर दी। पूछताछ में आरोपियों ने चौंकाने वाला खुलासा करते हुए बताया कि उन्होंने जानबूझकर हत्या की, ताकि उन्हें जेल भेजा जा सके और वे नशा मुक्ति केंद्र की पाबंदियों से छुटकारा पा सकें।
मृतक की पहचान
आपको बता दें, पुलिस के अनुसार मृत की पहचान अजय कुमार के रूप में हुई है। अजय को शराब की लत के चलते 8 अप्रैल को नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती कराया गया था। अजय कुमार का परिवार शिक्षित और प्रतिष्ठित है। उनका बड़ा बेटा उत्तर प्रदेश पुलिस में उपनिरीक्षक के पद पर बरेली में तैनात है, जबकि छोटा बेटा मेरठ के एक विश्वविद्यालय में मार्केटिंग मैनेजर है। मृतक की पत्नी एक प्राइमरी स्कूल में अध्यापक हैं।
पुलिस के अनुसार, आरोपियों की पहचान गुरदीप सिंह और हरमनदीप सिंह के रूप में हुई है। बताया जा रहा है कि दोनों आरोपी पंजाब के बठिंडा जिले के निवासी हैं।
पुलिस ने दोनों आरोपियों को हिरासत में लेकर पूछताछ की है और हत्या के आरोप में केस दर्ज कर लिया गया और मामले की जांच जारी है।
क्या क्या हैं नियम ?
इस घटना के बाद मानसिक स्वास्थ्य नियमावली के तहत नशा मुक्ति केंद्रों के संचालन के लिए कई सख्त नियम बनाए गए हैं। जिसमें बताया गया है कि किसी भी मरीज को जबरन कमरे में बंद नहीं किया जा सकता और केवल डॉक्टर की सलाह पर ही उसे केंद्र में भर्ती या डिस्चार्ज किया जा सकता है। साथ ही, मरीजों को परिजनों से बातचीत के लिए फोन की सुविधा देना अनिवार्य है। इसके अलावा केंद्रों में इलाज के लिए डॉक्टर, मनोचिकित्सक और काउंसलर की नियुक्ति जरूरी है, साथ ही कमरों में बेड्स के बीच निर्धारित दूरी बनाए रखनी होगी।
इसके अलावा केंद्रों को अपनी फीस, खाने का मेन्यू और रहने की सुविधाएं स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करनी होंगी। हर केंद्र का जिला मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण के अंतर्गत पंजीकरण भी अनिवार्य है।
नियमों के उल्लंघन पर जुर्माना
तो वहीं नियमों का उल्लंघन करने पर, पहले बार 5,000 से 50,000 रुपये जुर्माना, दूसरी बार 2 लाख रुपये तक जुर्माना और बार-बार उल्लंघन पर 5 लाख रुपये तक जुर्माना भरना होगा। बिना पंजीकरण के काम करने पर कर्मचारियों पर 25,000 रुपये जुर्माना होगा। व्यक्तिगत उल्लंघन पर पहली बार 6 महीने की जेल या 10,000 रुपये जुर्माना, और बार-बार उल्लंघन पर 2 साल की जेल या 50,000 से 5 लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है।

