75वें गणतंत्र दिवस (Fire Accident In Sugar Mill Doiwala) के मौके पर दोहे वाला शुगर मिल में आयोजित किया जा रहे कार्यक्रम में मौजूद मिल के सुरक्षाकर्मी की ओर से अचानक गोली चलने के कारण शुगर मिल के अधिशासी निदेशक और वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी दिनेश प्रताप सिंह घायल हो गए। घायल होने के बाद उनका उपचार देहरादून के एक निजी अस्पताल में कराया गया जिसके बाद वह शाम को दोबारा शुगर मिल में लौटकर अपने कार्य को करने लगे।
शुगर मिल के अधिशासी निदेशक की कुशल पूछने के लिए शुभचिंतकों का तांता शुगर मिल में लगा तो वहीं घायल होने के बाद भी संविधान के परंपरा को निभाते हुए ध्वजारोहण करने और सभी कार्य समय से पूर्ण करने को लेकर लोगों ने उनके देश भक्ति के जब्बे को भी सराहा। Fire Accident In Sugar Mill Doiwala लापरवाही भारत ने के मामले में प्रबंधन में उक्त सुरक्षा करने को निलंबित कर दिया है जबकि दिए शाम गोली चलने का वीडियो इंटरनेट पर प्रसारित होने के बाद एसएसपी अजय सिंह ने मामले का संज्ञान देते हुए कोतवाली प्रभारी निरीक्षक को मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए।
कैसे हुआ हादसा | Fire Accident In Sugar Mill Doiwala
गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम आयोजित आयोजन के दौरान 9:30 बजे वहां किया जाना था उससे पहले 9:25 पर अधिशासी निदेशक दिनेश प्रताप सिंह ध्वजारोहण शुरू करने ही वाले थे कि उससे पहले उनके सामने कुछ दूरी पर खड़े हर्ष फायरिंग करने वाले सुरक्षाकर्मी ने 312 बोर बंदूक की गोली चला दी।
बंदूक से गोली निकलते ही जमीन से टकराते हुए उसके छर्रे चारों ओर फैल गए जिसमें से एक छर्रा अधिशासी के पेट में जा लगा। तो वही एक छर्रा मिल के रसायनज्ञ राजवीर सिंह के आंख के पास से चेहरे को छूकर निकल गया। घटना में गोली का छर्रा पेट में लगने के बावजूद भी एड में किसी को इसकी भनक भी नहीं लगने दी और पेट दर्द सहते हुए ध्वजारोहण का कार्यक्रम समाप्त किया। Fire Accident In Sugar Mill Doiwala ध्वजारोहण कार्यक्रम समाप्त होने के बाद पेट में तेज दर्द और खून दिशा होने के चलते उन्हें तत्काल रूप से अस्पताल भेजा गया इसके बाद शाम को गए फिर शुगर मिल में अपना कार्य करने लगे।
घटना के बाद बदलेगी परंपरा | Fire Accident In Sugar Mill Doiwala
शुगर मिल में गोली चलने से हुई हाथ से के बाद सालों पुरानी चली आ रही फायरिंग की परंपरा को अब समाप्त किया जाएगा जिसको लेकर अधिशासी निदेशक ने संकेत दिए हैं उन्होंने कहा कि सुरक्षा कर्मियों को इसका कोई विशेष प्रशिक्षण भी नहीं दिया जाता है साथ ही इस तरह की कोई परंपरा का लाभ नहीं है इससे कोई भी घटना घट सकती है इस घटना का संज्ञान लेकर फायरिंग की परंपरा को बंद कर दिया जाएगा।