UCC Law : राज्य के जनजातीय समुदाय यूसीसी कानून के बाहर, उचित या अनुचित ? Tribe Exempt From UCC Law

7 फरवरी (UCC Law) को राज्य में पहली बार यूसीसी कानून पास करने के बाद उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है। पूरे देश में इस बात को लेकर सीएम धामी और बीजेपी सरकार की वाह–वही हो रही है। लेकिन यूसीसी कानून से राज्य की जनजातीय समुदाय को बाहर रखे जाने को लेकर सवाल उठने शुरू हो गए है। राज्य के जनजातीय समुदाय के कई लोगो को इस बात की जानकारी नही है के उनको यूसीसी कानून से अलग क्यों किया गया है ? राज्य के जनजातीय समुदाय के लोगो का इस सवाल पर मिलिजुली प्रतिक्रिया है।

कुछ लोगो का मानना है की वे अपनी संस्कृति और मान्यताओं के कारण एक अलग पहचान रखते है, इस लिए उन्हें यूसीसी से बाहर रखा जाना ही सही निर्णय है। तो वही दूसरी तरफ कुछ लोगो का कहना है की वह पहले से ही यूसीसी कानून के कई नियमों का वो पहले से ही पालन करते है, ऐसे में समिति के द्वारा उन्हें कानून के बाहर किया जाना उनकी समझ के बाहर है। UCC Law

इन समुदाय को रखा गया कानून के बाहर | Tribe Exempt From UCC Law

थारू, बोक्सा, राजी, भोटिया और जौनसारी समुदाय को यूसीसी कानून के बाहर रखा गया है। आपको बता दे की चीन के साथ 1962 लड़ाई के बाद 1967 को इन समुदाय को अनुच्छेद 342 के तहत जनजातीय समुदाय में शामिल किए जाने के लिए अधिसूचित किया गया था।

क्यों रखा गया बाहर | Tribe Exempt From UCC Law

भारत के संविधान के भाग 21 और अनुच्छेद 366 के खंड (25) में जनजातीय सदस्यों के पास अलग से परंपरागत अधिकार हैं। विशेषज्ञ समिति को जन संवाद के दौरान जनजातीय समूहों ने यह इच्छा जताई थी कि वे अपने यहां कुरीतियों को समाप्त करने के पक्षधर हैं। लेकिन उन्हें आपसी सहमति बनाने के लिए कुछ अधिक समय की आवश्यकता है। Tribe Exempt From UCC Law

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