वन विभाग (Outsourced Employees) में आउटसोर्स से नियुक्त किए गए करीब 1000 कर्मचारियों को नैनीताल हाई कोर्ट ने आज बड़ी राहत दी है। वन विभाग में 17 नवंबर 2023 को वर्षों से आउटसोर्स के तहत कार्यरत कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दी थी, अब कोर्ट में इन कर्मचारियों को हटाने के आदेश पर रोक लगाई है।
नैनीताल हाई कोर्ट ने सरकार को इन कर्मचारियों के अब तक के मानदेय का भुगतान करने और उन्हें समय पर मानदेय देने के भी आदेश की है। हाई कोर्ट के अनुसार यह सरकार को तय करना होगा की मद से वेतन दिया जाए। न्यायाधीश न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित के एक एकलपीठ ने इस मामले में 6 हफ्ते में विस्तृत शपथ पत्र देने के निर्देश देते हुए अगली सुनवाई डेट फरवरी में जारी की है।
17 नवंबर को दायर की गई थी याचिका | Outsourced Employees
वन विभाग में उपनल सहित अन्य आउटसोर्स एजेंसियो के द्वारा 2187 कर्मियों को नियुक्त किया गया था। 17 नवंबर को शासन ने अधिसूचना जारी कर विभाग का पुनर्गठन करने और 113 पदों का आउटसोर्स एजेंसी के द्वारा जाने का निर्देश दिया था। जिसके बाद इस फैसले के खिलाफ अल्मोड़ा के दिनेश परिहार और देहरादून के दिनेश चौहान के साथ अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
याचिकाकर्ता को सेवा से हटाना गलत | Outsourced Employees
दायर की गई याचिका में याचिका करने वालों का कहना था कि उन पदों को भी दूसरी आउटसोर्स एजेंसी से भरने के निर्देश की एक दिए गए हैं जिन पदों पर वह सालों से कम कर रहे हैं। दूसरे लोगों को आउटसोर्स से नियुक्त कर उनको नौकरी से हटाना गलत है। इस मामले में कोर्ट ने प्रमुख वन संरक्षक और मुख्य वन संरक्षक का पक्ष भी सुना। वन विभाग की ओर से शासन के निर्णय का हवाला देते हुए कहा गया है कि यह कर्मचारी स्वीकृत पदों के सापेक्ष अधिक तैनात हैं। खाली पदों के सापेक्ष नियुक्ति की जानी चाहिए थी।
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