Basant Panchami 2025: बसंत पंचमी भारत में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे विद्या और ज्ञान की देवी माँ सरस्वती को समर्पित किया जाता है। यह पर्व माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है और बसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक माना जाता है। इस दिन मां सरस्वती की आराधना की जाती है और ज्ञान, संगीत, कला व साहित्य के क्षेत्र में उन्नति की प्रार्थना की जाती है।
बसंत पंचमी कैसे मनाया जाता है
- देवी सरस्वती की पूजा– इस दिन प्रातः स्नान करके पीले वस्त्र धारण किए जाते हैं और घरों, विद्यालयों और मंदिरों में मां सरस्वती की पूजा की जाती है। देवी को पीले फूल, हल्दी, अक्षत (चावल), फल और पीले रंग के पकवान अर्पित किए जाते हैं।
- पीले रंग का महत्व-पीला रंग समृद्धि और बुद्धि का प्रतीक माना जाता है। लोग पीले वस्त्र पहनते हैं और पीले रंग के पकवान जैसे केसरिया हलवा, खिचड़ी, बेसन के लड्डू, पूड़ी आदि बनाकर भोग लगाते हैं।
- पतंगबाजी का उत्सव- पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर भारत के कई राज्यों में इस दिन पतंग उड़ाने की परंपरा है। लोग छतों पर एकत्र होकर पतंगबाजी का आनंद लेते हैं और यह दृश्य बहुत ही रंगीन और मनमोहक होता है।
- शुभ कार्यों की शुरुआत- बसंत पंचमी को अत्यंत शुभ माना जाता है, इसलिए इस दिन विवाह, गृह प्रवेश और नए कार्यों की शुरुआत की जाती है।
बसंत पंचमी से जुड़ी परंपराएँ
बसंत पंचमी में विद्यालयों और शिक्षण संस्थानों में देवी सरस्वती की विशेष पूजा होती है। छोटे बच्चों को इस दिन पहली बार पढ़ाई (अक्षर लेखन) कराई जाती है, जिसे ‘विद्यारंभ संस्कार’ कहते हैं। कवि और लेखक इस दिन मां सरस्वती से प्रेरणा प्राप्त कर साहित्य सृजन करते हैं। खेतों में सरसों के पीले फूल खिलने लगते हैं, जो इस त्यौहार की सुंदरता को और बढ़ा देते हैं। बसंत पंचमी पूरे भारत में भव्य तरीके से मनाई जाती है। इस दिन देवी सरस्वती की पूजा करने के साथ-साथ कई तरह की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराएँ निभाई जाती हैं।