बुद्ध पूर्णिमा, जब चंद्रमा भी बना ज्ञान का प्रतीक

Buddh Purnima 2025: बुद्ध पूर्णिमा इस वर्ष 12 मई 2025 को मनाया जा रहा है, जिसे बुद्ध जयंती या वेसाक के नाम से भी जाना जाता है, बौद्ध धर्म का सबसे पवित्र पर्व है। यह पर्व महात्मा बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति (बोधि) और महापरिनिर्वाण की स्मृति में मनाया जाता है। यह दिन वैशाख मास की पूर्णिमा को आता है, इसलिए इसे “बुद्ध पूर्णिमा” कहा जाता है।

सिद्धार्थ से बुद्ध बनने की यात्रा

महात्मा बुद्ध का जन्म सिद्धार्थ गौतम के रूप में लुंबिनी (वर्तमान नेपाल) में हुआ था। राजकुमार होने के बावजूद उन्होंने संसार के दुखों को देखकर सत्य की खोज में घर-परिवार त्याग दिया। वर्षों की तपस्या के बाद उन्होंने बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त किया और वे बुद्ध कहलाए।

भारत के अलावा श्रीलंका, नेपाल, जापान, थाईलैंड, म्यांमार, भूटान, वियतनाम, चीन और कई अन्य देशों में भी बुद्ध पूर्णिमा बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। यूनेस्को द्वारा इसे एक अंतरराष्ट्रीय पर्व के रूप में मान्यता दी गई है।

भक्ति, ध्यान और सेवा का दिन

इस दिन लोग बौद्ध मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना करते हैं, और श्रद्धालु सफेद वस्त्र पहनते हैं और मांसाहार से परहेज़ करते हैं। तो वहीं कुछ जगहों पर बुद्ध की झांकियां निकाली जाती हैं। साथ ही मोमबत्तियाँ और दीप जलाकर बोधि वृक्ष के चारों ओर परिक्रमा की जाती है।

इसके अलावा लोग ध्यान लगाते हैं, बुद्ध के उपदेशों को सुनते हैं और दया तथा करुणा के कार्य करते हैं। कई लोग गरीबों को भोजन कराते हैं या पक्षियों को आज़ाद करके मुक्ति का प्रतीक मानते हैं। बुद्ध पूर्णिमा केवल धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि अहिंसा, करुणा और आत्मज्ञान का संदेश देने वाला दिन है।

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Rupa Kumari is a young journalist with 5 years of experience in digital media in Uttarakhand. Currently, she is associated with TII, where she covers Uttarakhand politics as well as lifestyle, sports, and national and international news.