Eri Silk : रेशम विभाग शुरू करेगा मार्च –अप्रैल से एरी रेशम की खेती, 1 साल में सात बार पा सकते हैं फसल |

रेशम विभाग (Eri Silk) द्वारा 1 साल पहले हिमाचल के मैदानी क्षेत्रों बिलासपुर, ऊना और नालागढ़ में एक सफल ट्रायल किया गया था। जिस कारण रेशम विभाग अब प्रदेश में पहली बार एरी रेशम कीट पालन की खेती शुरू करने वाला है।

रेशम विभाग को खेती के लिए सेंट्रल सिल्क बोर्ड से मंजूरी मिल गई है जिससे अब मार्च अप्रैल से एरी रेशम कीट पालन की खेती शुरू हो सकती है। इस रेशम की खास बात यह है कि किसान 1 साल में सात बार इससे फसल पा सकते हैं। खेती के लिए रेशम विभाग बिलासपुर से रांगडु में 25 बीघा भूमि पर बीज उत्पादन केंद्र तैयार कर रहा है जहां से किसानों को बीज बांटा जाएगा। Eri Silk

एरी रेशम की खेती के बारे में जानिए | Eri Silk

एरी रेशम कीट पालन अरंडी के पौधे पर होता है। इसके लिए गर्म स्थान ही जरूरी होता है। रेशम विभाग ने अरंडी के पौधे जोरहाट से मंगवाए हैं। आपको बता दे की इस पौधे का तना सफेद रंग का होता है, लेकिन इस प्रजाति में इसका तना लाल रंग का होता है, जो कि इसकी एक विशेषता है। एरी रेशम उन और कपास के साथ आसानी से मिल जाता है। जंगली प्रजाति होने की वजह से इसमें बीमारी लगने का खतरा न के बराबर होता है। प्रदेश के गर्म इलाके में इसका सफल ट्रायल हुआ है। इस रेशम को तैयार करने में 20 से 22 दिन का समय लग जाता है। Eri Silk

अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस रेशम की बहुत मांग है, जिससे किसानों को वेतन का एक नया जरिया मिलेगा। यह रेशम दूसरे रेशम की तुलना में गहरा और घना होता है। इससे पहले शहतूत रेशम पालन में किसान साल में बस दो बार फसल प्राप्त करते थे। Eri Silk

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