ISRO Soon To Launch New Satellite: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चेयरमैन डॉ. वी. नारायणन ने सोमवार को देहरादून स्थित मुख्यमंत्री आवास में आयोजित अंतरिक्ष सम्मेलन में कई बड़ी योजनाओं के खुलासे किए। इस सम्मेलन का आयोजन हिमालयी राज्यों के संदर्भ में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और इसके अनुप्रयोगों पर केंद्रित था।
भविष्य के लक्ष्य
आपको बता दें, इस सम्मेलन में डॉ. नारायणन द्वारा बताया गया कि ISRO वर्तमान में एक ऐसे शक्तिशाली रॉकेट पर काम कर रहा है, जो पृथ्वी की निचली कक्षा (Low Earth Orbit) में 75 हजार किलो तक के सैटेलाइट लॉन्च करने में सक्षम होगा। यह रॉकेट करीब 27 दिनों में अपना मिशन पूरा करेगा और, इसे अब तक का सबसे शक्तिशाली भारतीय रॉकेट माना जा रहा है।
इसके साथ ही, इसरो प्रमुख ने कहा, “हमारा लक्ष्य है कि 2030 तक भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन हो और 2040 तक भारतीय अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा की सतह पर कदम रखें।”
ऐतिहासिक उपलब्धियां
डॉ वी० नारायणन ने ISRO की उपलब्धियां बताई साथ ही उन्होंने कहा कि भारत ने पहले ही प्रयास में मंगल ग्रह की कक्षा में पहुंचने का भी इतिहास रचा।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में नए अध्याय लिख रहा है, और 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में हम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
आपदा प्रबंधन में मददगार
इस मौके पर राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (NRSC) के निदेशक डॉ. प्रकाश चौहान ने बताया कि आज अंतरिक्ष डाटा हमारे जीवन के लगभग हर क्षेत्र को प्रभावित कर रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में आई ऋषिगंगा और चमोली आपदा के समय सैटेलाइट के माध्यम से की गई मैपिंग को राष्ट्रीय नीति में शामिल किया गया। इसके अलावा राज्य में पशुधन डाटा का डिजिटलीकरण भी किया गया है। उन्होंने बताया कि वनाग्नि, बाढ़, बादल फटना और ग्लेशियर लेक जैसी प्राकृतिक आपदाओं की निगरानी भी अब सैटेलाइट तकनीक से की जा रही है। साथ ही, नेविगेशन और संवाद प्रणाली ने लोगों के जीवन को पहले से कहीं अधिक सुरक्षित और सक्षम बनाया है।