Kotdwar Police Arrest Journalist: उत्तराखंड पुलिस की कार्यशैली एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है, और इस बार मामला एक सड़क हादसे में युवती की मौत से जुड़ा हुआ है। 16 जनवरी को पौड़ी जिले के सिद्धबली रोड पर एक कार चालक ने स्कूटी सवार युवती, नीलम थापा, को जोरदार टक्कर मारी, जिससे उसकी मौत हो गई। लेकिन, पुलिस ने घटना के 12 दिन बाद भी आरोपी चालक को गिरफ्तार नहीं किया था। इस दौरान मृतका की मां ने पत्रकार सुधांशु थपलियाल से मदद मांगी।
सुधांशु ने 29 जनवरी को फेसबुक पर पोस्ट करते हुए इस मामले में पुलिस की लापरवाही पर सवाल उठाए। इस पोस्ट को लेकर पुलिस ने प्रतिक्रिया दी, लेकिन यह प्रतिक्रिया बेहद विवादास्पद रही। पुलिस ने सुधांशु को आरोपी बना दिया और उनके खिलाफ विभिन्न धाराओं में केस दर्ज कर लिया। इसके बाद, पुलिस ने उन्हें घर से उठाकर कोतवाली ले आई, जहां उन्हें पूरी रात लॉकअप में रखा गया। इसके साथ ही पुलिस पर यह आरोप भी है कि उन्होंने सुधांशु से सादे कागजों पर जबरन हस्ताक्षर करवाए।
इस कार्रवाई के बाद, सुधांशु ने मुख्यमंत्री पोर्टल, पुलिस शिकायत प्राधिकरण और मानवाधिकार आयोग से शिकायत की। मानवाधिकार आयोग ने इस मामले का संज्ञान लिया और कार्रवाई शुरू कर दी। पुलिस शिकायत प्राधिकरण ने मामले की सुनवाई 24 मार्च को तय की है। इसके अलावा, भाजपा के कुछ पदाधिकारी भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दुगड्डा दौरे के दौरान कोटद्वारा पुलिस के खिलाफ शिकायत करने पहुंचे।
मृतका की मां भी सुधांशु के समर्थन में सामने आईं। उन्होंने कहा कि जब पुलिस ठीक से काम नहीं करती है तो हमें पत्रकारों से मदद लेनी पड़ती है। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी बेटी की मौत के बाद 14-15 दिन तक आरोपी फरार था, और तब पत्रकार सुधांशु से मदद लेने के बाद ही कुछ कार्रवाई हो पाई थी।
यह मामला मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आदेशों के विपरीत है, जिनमें उन्होंने स्पष्ट किया था कि पत्रकारों के खिलाफ इस तरह के फर्जी मुकदमे नहीं दर्ज किए जाएंगे। फिर भी पौड़ी पुलिस की कार्रवाई ने मुख्यमंत्री के निर्देशों की धज्जियां उड़ा दीं। अब यह देखना बाकी है कि सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है और क्या पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ कोई सख्त कदम उठाया जाएगा।

