New Madarsa Rule to Be Implement Next Semester: अब उत्तराखंड में मदरसों को केवल धार्मिक शिक्षा देने के लिए भी प्राधिकरण से मान्यता लेना अनिवार्य कर दिया गया है। नया अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान कानून लागू होने के बाद, शिक्षकों की नियुक्ति भी तय मानकों के अनुसार करनी होगी। इस कानून के लागू होने के साथ ही उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड से मान्यता प्राप्त मदरसों को केवल शैक्षिक सत्र 2025-26 तक ही पुरानी व्यवस्था के तहत शिक्षा देने की अनुमति होगी।
शैक्षिक सत्र 2026-27 से सभी मदरसों को धार्मिक शिक्षा के लिए दोबारा प्राधिकरण से मान्यता लेनी होगी, जो तीन वर्षों के लिए वैध होगी और समय-समय पर उसका नवीनीकरण कराना अनिवार्य होगा। मान्यता पाने के लिए शैक्षणिक संस्थान की जमीन संबंधित संस्था या सोसाइटी के नाम दर्ज होनी चाहिए। साथ ही, सभी वित्तीय लेन-देन केवल संस्थान के नाम पर किसी कॉमर्शियल बैंक में खोले गए खाते के माध्यम से ही किए जा सकेंगे।
इसके अतिरिक्त, कोई भी अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान अपने छात्रों या कर्मचारियों को किसी भी धार्मिक गतिविधि में भाग लेने के लिए बाध्य नहीं कर सकेगा। मदरसों को अब शिक्षकों की नियुक्ति भी अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान परिषद द्वारा निर्धारित योग्यता के अनुसार करनी होगी। पहले शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर इतनी सख्ती नहीं थी, लेकिन अब यह प्रक्रिया भी मानकों के अधीन होगी।
